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हत्या के आरोपी परिवार का ग्रामीणों ने किया सामाजिक बहिष्कार, डर से छोड़ा गांव

प्रकाश उरांव हत्याकांड. आदिवासी समाज में आक्रोश, एक सप्ताह में गिरफ्तारी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी

गुमला. सिसई प्रखंड के पुसो थाना क्षेत्र के बर्री गांव में बिहार के कैमूर जिले में आदिवासी मजदूर प्रकाश उरांव की हत्या के मामले को लेकर ग्रामीणों ने कड़ा रुख अपनाया है. गांव में बुलायी गयी पंचायत ने हत्या के अभियुक्त मौसिम अंसारी और उसकी कथित सहयोगी पल्हो देवी के परिवार का हुक्का-पानी बंद करने का निर्णय लिया. पंचायत के इस फैसले के बाद डर के मारे अभियुक्त का परिवार गांव छोड़ कर अन्यत्र चला गया है. प्रकाश उरांव की हत्या 26 मार्च को कैमूर जिले में कर दी गयी थी. शव को झाड़ियों में फेंक दिया गया था, जिसकी पहचान बाद में कपड़ों और अन्य सामानों से हुई. मृतक के पिता मांगा उरांव ने मौसिम अंसारी और अपनी बहू पल्हो देवी पर हत्या का आरोप लगाते हुए पुसो थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी. दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं. बताया गया कि मौसिम अंसारी पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं.

पुसो पुलिस की कार्यशैली ठीक नहीं : सुफल

सिसई. सिसई प्रखंड के पुसो थाना स्थित बर्री गांव निवासी मांगा उरांव के पुत्र प्रकाश उरांव की हत्या की खुलासा होने के एक सप्ताह बाद भी अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं होने से आदिवासी समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. आक्रोशित ग्रामीणों ने बर्री गांव में पूर्व मुखिया सुफल उरांव की अध्यक्षता में बैठक कर एक सप्ताह के अंदर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजने का अल्टीमेटम पुलिस को दिया है. साथ ही गिरफ्तारी नहीं होने पर पूरी लरंगो पंचायत के आदिवासी ग्रामीण की बैठक कर आरोपी के परिवार को गांव से निकालने समेत अपने स्तर पर कई ठोस निर्णय लेने की चेतावनी दी है. बैठक में आदिवासी माताओं बहनों ने स्थानीय भाषा में सब के तो लुइट लेलयं, अब जनी छऊवा मन के भी लूटथयं जैसे मार्मिक गीत गाकर अपनी व्यथा उजागर किया. ग्रामीणों ने आदिवासी एकता जिंदाबाद, एक समुदाय का अन्याय नहीं सहेंगे नारेबाजी की. सुफल उरांव ने कहा कि एक कौम विशेष द्वारा हम आदिवासियों को कोल्ह कह कर पुकारा जाता है. उनकी नजरों में हमारी कोई पहचान नहीं है. हम गरीब आदिवासी आज दबे-कुचले महसूस करते हैं. आज एक कौड़ी भर के लोग हमारी बहू-बेटियों की इज्जत के साथ खेल कर हमारे भाई को प्रदेश ले जाकर उसकी निर्मम हत्या कर दी और उसकी पत्नी को लेकर फरार हो गया. इससे दो बच्चे अनाथ हो गये. इस मामले में पुलिस को इसकी लिखित शिकायत की गयी है, परंतु पुलिस का कार्य संतोषजनक नहीं रहा है. हमारे बैल व बकरी खरीद कर, हमारी जगह जमीनों में जीवन यापन करने वाले कौड़ी भर की एक जाति के लोग आज हमारे साथ अन्याय कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. हम आदिवासी कमजोर नहीं हैं. हमें जागने की जरूरत है और ऐसे लोगों को एकजुट होकर जवाब देने की जरूरत है. मौके पर ग्राम प्रधान, प्रार्थना सभा, पड़हा के सदस्य समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे.

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Prabhat Khabar News Desk
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