गुमला. हस्तकरघा, रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय के अंतर्गत अग्र परियोजना केंद्र (रेशम) गुमला में शुक्रवार को मलवरी रेशम कीट पालन उपस्कर वितरण समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर गुमला व सिसई प्रखंड के 33 प्रशिक्षित किसानों के बीच रेशम कीट पालन से संबंधित उपकरणों का वितरण किया गया. समारोह की मुख्य अतिथि जिला परिषद उपाध्यक्ष संयुक्ता देवी ने कहा कि गुमला एक कृषि प्रधान जिला है, जहां की 80 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है. लेकिन अब किसानों को पारंपरिक फसलों और पशुपालन से आगे बढ़ते हुए रेशम कीट पालन जैसे वैकल्पिक आय स्रोतों को भी अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रेशम पालन से अच्छी आमदनी होती है, जिससे न सिर्फ परिवार का जीवन स्तर सुधरता है, बल्कि बच्चों को बेहतर शिक्षा भी मिलती है. कार्यक्रम का संचालन परियोजना प्रबंधक वासुदेव महतो ने किया.
एक माह में हो सकती है ₹8,000–15,000 की आय
जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक सह केंद्र परियोजना पदाधिकारी सुरेश वाल्टर तिर्की ने कहा कि केवल 50 डिसमिल जमीन पर भी रेशम कीट पालन कर के किसान एक महीने में ₹8,000 से ₹15,000 तक की आय कर सकते हैं. उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे खुद भी इस कार्य को अपनायें और गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित करें.
प्रशिक्षण का लाभ लें, गुणवत्ता वाला रेशम पैदा करें
केंद्र के ओवरशियर बलराम शरण उरांव, मुखिया तारकेश्वर उरांव और किसान प्रतिनिधि फूलचंद साहू ने किसानों से प्रशिक्षण में बतायी गयी बातों को गंभीरता से अपनाने की अपील की. फूलचंद साहू ने बताया कि वे भी आठ वर्ष पूर्व इस केंद्र से प्रशिक्षण लेकर आज सफल रेशम पालक बने हैं और नियमित रूप से हजारों रुपये की आय कर रहे है.
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