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माइंस के गड्ढे में गिरने से असुर युवक की मौत

हिंडालको कंपनी ने बॉक्साइड उत्खनन के लिए गड्ढा खोद कर छोड़ दिया था

बिशुनपुर. बिशुनपुर प्रखंड के गुरदरी थाना क्षेत्र स्थित बरपाठ निवासी मिलरेड असुर (31) की गड्ढे में गिरने से मौत हो गयी. हिंडालको कंपनी ने बॉक्साइड उत्खनन के लिए गड्ढा खोद कर छोड़ दिया है. उसमें मिट्टी नहीं भरी गयी, जिससे गड्ढा तालाब बन गया है. बताया जाता है कि मिलरेड गत शनिवार को गुरदरी स्थित लगने वाला साप्ताहिक हाट गया था. जहां से लौटने के क्रम में गांव के समीप हिंडालको द्वारा किये गये बॉक्साइट उत्खनन के गड्ढे में गिर गया. उक्त गड्ढा में बरसाती पानी भरा हुआ था. इधर, शनिवार को जब वह घर नहीं पहुंचा, तो परिजन इधर-उधर लगातार खोज रहे थे. रविवार की रात गांव के कुछ लोगों ने गांव से सटे उक्त गड्ढे की ओर गये, तो देखा कि मिलरेड का शव गड्ढे में भरे पानी में था. इसके बाद इसकी सूचना गुरदरी थाना को दी गयी. इसके बाद थाना प्रभारी धीरज कुमार सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच शव को बाहर निकाल कर पंचनामा के बाद पोस्टमार्टम के लिए सदर गुमला भेज दिया. थाना प्रभारी के अनुसार प्रथम दृष्टया में युवक की मौत डूबने से हुई है. पोस्टमार्टम के बाद ही कुछ बताया जा सकेगा.

गांव में आज भी है जागरूकता की कमी

मिलरेड का शव मिलने के बाद ग्रामीण पोस्टमार्टम कराना नहीं चाह रहे थे. इधर, प्रमुख राज लक्ष्मी उरांव व कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष राजू भगत को सूचना मिली, तो वे लोग दूरभाष के माध्यम से गांव के लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि सरकार द्वारा सांप डंसने, डूब कर मरने या आकस्मिक मौत पर मुआवजा का प्रावधान है. जब तक आप सभी मृतक का पोस्टमार्टम नहीं करायेंगे, तब तक आप लोगों को मुआवजा नहीं मिल सकेगा. इसके बाद ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम के लिए हामी भरी.

नियम विरुद्ध काम कर रही है हिंडालको कंपनी : प्रमुख

प्रमुख राज लक्ष्मी उरांव ने कहा कि हिंडालको कंपनी लीज लेने से पूर्व जो कमिटमेंट रैयतों से करती है, उसे पूरा नहीं करती है. उन्होंने कहा कि माइंस क्षेत्र में सीधे-साधे भोले-भाले आदिम जनजाति के लोग रहते हैं. इसका कंपनी पुरजोर फायदा उठा रही है. जिस क्षेत्र में उत्खनन किया जा रहा है. उत्खनन उपरांत कंपनी को उक्त भूमि को समतलीकरण कर खेती योग्य बना कर रैयतों को देना है. परंतु बॉक्साइट निकलते कंपनी दूसरा साइड तलाशने लग जाते है और उत्खनन किये गड्ढा को भरना जरूरी नहीं समझता है. उक्त गड्ढे में बरसाती पानी जमा होता है और सीधे-साधे आदिम जनजाति के लोग उस गड्ढे में डूब कर मर जाते हैं. परंतु कंपनी को इस बात से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कंपनी को चेताते हुए कहा कि अगर दोबारा ऐसी कोई घटना घटती है, तो उसका जिम्मेदार कंपनी होगा.

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Prabhat Khabar News Desk
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