गुमला. बसिया प्रखंड में बघमुंडा जलप्रपात है, जो जंगल, नदी व पहाड़ के बीच है. अद्भुत प्राकृतिक छटा सैलानियों को अपनी ओर खींचता है. दक्षिण कोयल नदी की इतरा कर बहती जलधारा जब पत्थरों के विशाल ढेर के बीच टकराती है, तो इसकी मधुर आवाज कानों को सुकून देती है. पहाड़ों से टकराने के लिए नदी का पानी तीन दिशाओं में बहता है. यही वजह है कि यह पिकनिक स्पॉट के रूप में विख्यात है. यहां सालों भर पर्यटक आते हैं. पर्यटकों की पहली पसंद व सालों भर पर्यटकों के इस क्षेत्र में आवागमन को देखते हुए पर्यटन विभाग गुमला ने इसके विकास की योजना तैयार की है. पर्यटन विभाग ने बाघमुंडा जलप्रपात के समीप कैफेटेरिया बनाने का प्लान तैयार किया है. जमीन की तलाश हो रही है. जैसे जमीन मिलेगी, यहां पर्यटकों की सुविधा के अनुसार कैफेटेरिया का निर्माण किया जायेगा. इसके अलावा यहां सेल्फी जोन भी बनेगा, जिससे पर्यटक अपनी सुंदर फोटो नदी की बहती धाराओं के साथ कैमरे व मोबाइल में कैद कर सकेंगे. वॉच टावर बनेगा, इसके लिए स्थल का चयन हो गया है. वॉच टावर से बाघमुंडा जलप्रपात की मनोरम दृश्य व आसपास के जंगलों की खूबसूरती को देख सकेंगे. बाघमुंडा जलप्रपात में उतरने वाली सीढ़ी में रेलिंग बनायी जायेगी. अभी सीढ़ी में रेलिंग नहीं होने से पर्यटकों को परेशानी व असुरक्षा महसूस होती है. इसलिए प्रशासन ने पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सीढ़ी में रेलिंग बनाने की योजना तैयार की है. इसके अलावा जगह-जगह पर सूचना बोर्ड लगेगा, जिसमें बाघमुंडा में किस तरफ घूमने जाये और किस तरफ नहीं जाये. इसकी जानकारी रहेगी. अभी पर्यटकों में अपनी गाड़ियों को खड़ी करने में परेशानी होती है. इसलिए यहां पार्किंग जोन बनाया जायेगा, जिससे पर्यटक सुरक्षित व बिना परेशानी के अपनी वाहनों को पार्किंग जोन में खड़ा कर सकेंगे.
सालों भर पर्यटकों का लगा रहता है तांता
बाघमुंडा की नदी की तेज धारा व तीन दिशाओं से बहने वाली पानी का अद्भुत नजारा सिर्फ बरसात में दिखता है. परंतु इस जगह की जो बनावट है, यह लोगों को हर साल अपनी ओर खींचती है. यह एक बड़ा कारण हैं कि गर्मी, सर्दी और बरसात में मौसम कोई भी हो. यहां सालों भर सैलानियों के तांता लगा रहता हैं. जबकि यह पिकनिक स्पॉट भौतिक सुख सुविधाओं से वंचित है. इतना ही नहीं इसके प्रवेश द्वार में स्थित प्राचीन शिव मंदिर, राह में स्थित महादेव कोना एवं पास में स्थित धनसिंह टोला जलाशय को जोड़ दें तो बनने वाले गोल्डन ट्राइंगल का आकर्षण इसे स्वतः विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने का बोध करने लगता हैं.
कैसे पड़ा नाम बाघमुंडा : बाघमुंडा जलप्रपात कोयल नदी की पत्थरों के विशाल ढेर के बीच सात धाराओं में परिवर्तित करते तीन अलग-अलग दिशाओं में बहती है. पत्थर के इस विशाल ढेर के बीच एक पत्थर जो कि बाघ के सिर के आकार का है, जिससे टकरा कर पानी नदी में गिरता है. इस कारण इस जलप्रपात का नाम बाघमुंडा पड़ा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है