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उपयोगहीन भवनों के बीच जर्जर स्कूल भवन में बच्चों की जान जोखिम में

जिला प्रशासन द्वारा वर्षों से कई सरकारी भवनों का निर्माण किया गया है, लेकिन इनमें से अनेक भवन आज भी बिना उपयोग के खाली पड़े हैं.

6 गुम 10 में स्कूल भवन अंदर से जर्जर हो गया है

6 गुम 11 में जानकारी देते बच्चे

6 गुम 12 से लेकर 16 तक में शिक्षक व अभिभावक

महीपाल सिंह, पालकोट

गुमला. जिला प्रशासन द्वारा वर्षों से कई सरकारी भवनों का निर्माण किया गया है, लेकिन इनमें से अनेक भवन आज भी बिना उपयोग के खाली पड़े हैं. कुछ तो अब खंडहर में तब्दील होने लगे हैं. दूसरी ओर, जहां स्कूल भवनों की सख्त जरूरत है, वहां शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण बच्चे जर्जर और खतरनाक इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं.

ऐसा ही एक मामला सामने आया है पालकोट प्रखंड मुख्यालय से सटे राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय डीपाटोली का, जहां विद्यालय भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है और कभी भी गिर सकता है. इसके बावजूद शिक्षिकाएं जान जोखिम में डालकर बच्चों को शिक्षा देने में जुटी हैं.

विद्यालय भवन की भयावह स्थिति

विद्यालय में कुल तीन कमरे हैं, जिनमें से दो कमरे पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं. छत से पानी टपकता है, दीवारें दरक चुकी हैं और बरसात के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। शिक्षिकाएं और बच्चे हर दिन खतरे के साये में पढ़ाई कर रहे हैं.

विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका मेरी सुरीन ने बताया कि उन्होंने इस स्थिति की सूचना बीआरसी कार्यालय और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. पारा शिक्षिका पार्वती देवी ने भी बताया कि वे मजबूरी में इस जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ा रही हैं. उन्होंने कहा कि यदि भवन की स्थिति सुधरे, तो बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ेगी, लेकिन वर्तमान हालात में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरते हैं.

अधूरा भवन बना बाधा

विद्यालय के बगल में एक अधूरा भवन वर्षों से बेकार पड़ा है. पारा शिक्षिका कुल्पी कुमारी ने बताया कि यदि वह भवन पूरा कर दिया जाता, तो बच्चों को सुरक्षित और बेहतर वातावरण मिल सकता था, लेकिन वह भी प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है.

बच्चों और अभिभावकों की चिंता

कक्षा पांच की छात्रा आरवी कुमारी ने कहा कि नया भवन बनता तो हमें सुविधा होती, लेकिन यह कब बनेगा, यह तो शिक्षा विभाग ही जानता है. अभिभावक रानी देवी ने चिंता जताई कि यदि पढ़ाई के दौरान कोई हादसा हो गया, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? बरसात में पूरा कमरा पानी से भर जाता है, ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ाई करें.

महादेव नायक, एक अन्य अभिभावक ने बताया कि विद्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. बरसात में कीचड़ और पानी से होकर बच्चों को स्कूल आना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे इसी स्कूल से पढ़कर निकले हैं, लेकिन अब स्थिति और भी खराब हो गयी है.

मांगें और समाधान की दिशा

विद्यालय भवन की तत्काल मरम्मत या पुनर्निर्माण

अधूरे भवन को पूरा कर उपयोग में लाना

विद्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण

शिक्षा विभाग द्वारा निरीक्षण और त्वरित कार्रवाई

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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