डुमरी. झारखंड के विभिन्न जिलों से हजारों आदिवासी सरना समाज के लोग जेठ पूर्णिमा तीर्थयात्रा मनाने के लिए प्रखंड स्थित धार्मिक स्थल टांगीनाथ धाम पहुंचे. तीर्थ यात्रा में लातेहार, पलामू, गढ़वा, लोहरदगा, गुमला जिला समेत छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों के महिला-पुरुष व युवक-युवतियां शामिल हुए. इस संबंध में आदिवासी सरना समाज लातेहार के पड़हा राजा बागेश्वर भगत ने बताया कि आज सुबह में स्नान कर महादेव बाबा के आंगन में विशाल सरना झंडा स्थापित कर पूजा-पाठ कर सुख, शांति व समृद्धि की कामना की. इसके बाद सिरसी-ता-नाले उर्फ ककड़ोलता जायेंगे, वहां भी बाबा धर्मेश व चाला आयंग की महिमा, गीत भजन किया जायेगा. हमलोग देवों के देव महादेव की छाया में आकर उनका महिमा का गुणगान करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. टांगीनाथ धाम में हमारे पूर्वज लोग आदिकाल से आया करते थे. इससे पूर्व हमारे पूर्वज पूजा-पाठ करते थे. आज के पहले यहां पर कुछ था ही नहीं. यह जो मंदिर देख रहे हैं, उस समय यह भी नहीं था. उस समय यह पर एक पत्थर था और एक लकड़ी का खोड़हर था. उसी समय से हम लोग आ रहे हैं. आज हमलोग आस्था के साथ जलार्पण, धूप धुवन, पुष्प व सूखा प्रसाद चढ़ाते हैं. महादेव से आशीर्वाद लेकर सुख शांति से सालों भर जीवन व्यतीत करते हैं. जेठ पूर्णिमा में हमलोग इसलिए आया करते हैं कि इस धरती के हमलोग ज्येष्ठ पुत्र हैं. आदिवासी हैं यह महीना भी जेठ है. यह जेठ मास की राशि व हम आदिवासियों की एक ही राशि तुला है. जैसे हिंदू भाई लोग सावन में बाबा धाम जाते हैं. उसी प्रकार जब से यह जेठ माह चढ़ा है. आदिवासी ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते इस जेठ माह को धार्मिक महीना मानते हैं. जहां-जहां हम लोगों का धार्मिक स्थल है. जैसे चाला टोंका, चाला तुसा, सिरसी-ता-नाले, महादेव टांगीनाथ, महादेव कांडों समेत बहुत धार्मिक स्थल है, जहां पर जाकर महीनों भर जेठ पूर्णिमा मनाया करते हैं व उनका आशीर्वाद लेते हैं. आज जेठ माह का अंतिम दिन है. हमारे झारखंड से ही नहीं अन्य दूसरे राज्यों से भी आदिवासी महिमा को जानते हैं. वे लोग आज यहां पर हजारों की संख्या में आये हैं. इससे पूर्व मंगलवार की रात को टांगीनाथ धाम परिसर में दीप जला कर रात भर सामूहिक कीर्तन भजन व महादेव महिमा गीत गाया गया. मौके पर राजकुमार भगत, रतन उरांव, बीनू उरांव, किरानी उरांव, कृष्णा, उर्मिला समेत हजारों सरना धर्मावलंबी मौजूद थे.
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