डुमरी. पहाड़ों के बीच बसे चार गांवों की कहानी सरकारी व्यवस्था व योजनाओं पर सवाल खड़ा कर रही है. आजादी के 77 सालों बाद भी इन गांवों की तकदीर व तस्वीर नहीं बदली है. हम बात कर रहे हैं डुमरी प्रखंड की जुरमू पंचायत अंतर्गत पहाड़ों के बीच बसे सरईटोली, दर्रीटोली, पहाड़ दीना, बेलटोली, डुमरटोली गांव की. इन गांवों के लोग मूलभूत समस्याओं के बीच जीवन व्यतीत कर रहे हैं. आजादी के इतने सालों के बाद भी गांवों की तस्वीर नहीं बदली है. इतने सालों में कई सरकारें आयीं और चली गयीं. इस गांव तस्वीर बदलने में किसी ने प्रयास नहीं किया. इन सभी गांवों में अभी भी सड़क, स्वच्छ पेयजल, पुल पुलिया, पीसीसी पथ, नली, रोजगार, नेटवर्क समेत अन्य सुविधाओं का कमी है. गांव के सभी लोग राशन लाने के लिए लगभग पांच किमी जूरमू गांव जाते हैं. इन सभी गांवों में मुंडा, असुर, उरांव, लोहार, बड़ाइक, ग्यार समुदाय के लगभग 70 परिवार निवास करते हैं, जहां ग्रामीण महुआटोली से गांव तक आने के लिए सालों भर कच्ची सड़क में आवागमन करते हैं. महुआ टोली से दर्रीटोली की दूरी लगभग ढाई से तीन किमी है. इस सड़क में ग्रामीणों को बरसात में फिसलन के कारण पैदल चलना मुश्किल हो जाता है. इन सभी गांवों में स्वच्छ पेयजल के कोई सुविधा नहीं है आज भी सभी गांव लोग नदी किनारे डंडी, चुआं बना कर या कुआं का गंदा पानी पीने को विवश हैं. वहीं नदी के गंदे पानी में बर्तन और कपड़ा धोना व नहाना होता है. गांव में बिजली है, मगर वह भी आधी आबादी को ओर जलती है. एक प्राथमिक विद्यालय है मगर पेयजल की व्यवस्था नहीं है. ग्रामीण बरसात के दिनों में घरों से बाहर कीचड़ में आना-जाना करते हैं. गांव में मोबाइल नेटवर्क की भी समस्या है. रोजगार के लिए खेती-बारी एक साधन है.
हमलोग समस्याओं से जूझ रहे हैं : ग्रामीण
गांव के अनिल मुंडा, तुसा मुंडा, चिंता मुंडाइन, जगनती मुंडाइन आदि ग्रामीणों ने बताया कि गांव में हमलोग को बहुत समस्या है. पीने की पानी की बहुत बड़ा समस्या है. हमलोगों को दवना और बनरी नदी पर पुल, पानी के लिए जलमीनार और गांव तक आने-जाने के लिए पक्की सड़क, गांव घरों के गलियों में पीसीसी पथ, नली चाहिए. चुनाव के समय नेता लोग आते हैं, बड़े-बड़े वादे और आश्वासन देते हैं कि चुनाव जीतने के बाद ये कर देंगे वो कर देंगे मगर जीत जाने के बाद हम लोगों की समस्याओं को देखने वाला कोई नहीं है. हम ग्रामीणों को पीने के साफ पानी नहीं मिलता है, जिस गांव में जलमीनार हैं उसी गांव में दो चार जलमीनार और लगा दी गयी है मगर हमलोगों के गांवों में एक भी जलमीनार नहीं लगायी हैं. इसके लिए कई बार हम लोगों ने जनप्रतिनिधियों को कहा कि पंचायत ग्रामसभा में अपनी समस्याओं को दर्ज करायें मगर कुछ नहीं हुआ सिर्फ सब तरफ से आश्वासन भर मिलता है. ग्रामीणों ने प्रशासन से गांव तक आने-जाने के लिए पक्की सड़क, स्वच्छ पेयजल के लिए जलमीनार, पीसीसी पथ, नाली और नदी पर पुल निर्माण की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है