सिसई. बैजनाथ जालान महाविद्यालय सिसई में बुधवार को संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया गया. उद्घाटन अतिथियों ने दीप जला कर व मां सरस्वती की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर की. अध्यक्षता कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर अमिताभ भारती ने की. मुख्य अतिथि मानविकी संकाय अध्यक्ष रांची विवि रांची की प्रोफेसर अर्चना कुमारी दुबे ने कहा कि संस्कृत भाषा देव भाषा है. संस्कृत में संस्कृति आत्मा है, तो प्रकृति व संस्कार शरीर. अतिथि देवो भव, तिलक लगाना, स्वागत करना हमारी संस्कृति में आता है. भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत सर्वोपरि है. हमें सुंदर जीवन मिला है. जीवन को संस्कारी, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदारी व जिम्मेदारी के साथ उपयोग करें और आगे बढ़े. मुख्य वक्ता सहायता प्राध्यापक बीएचयू बनारस डॉ राजा पाठक ने कहा कि यहां का वातावरण संस्कार, संस्कृति व विचार का संगम है. संस्कृत, संस्कार, संस्कृत पर्यायवाची शब्द है. संस्कृत व्यक्ति को सामाजिक बनाता है, उसी तरह संस्कृत बिना संस्कार नहीं होता. उन्होंने कहा कि हमारा देश ऋषि मुनियों का दिया संस्कार है. यहां वेद मंत्र प्रायोगिक संकलन है. संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ पारंगत खलखो ने किया. विषय प्रवेश डॉ श्रवण तिवारी ने कराया. महाविद्यालय की संस्कृत छात्राओं ने स्वागत गान संस्कृत भाषा में प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम में महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया. साथ ही गुमला, सिसई प्रखंड के प्लस टू स्कूल के संस्कृत शिक्षकों व समाजसेवियों को सम्मानित किया गया. मौके पर डॉ मोहन गोप, डॉ कृष्णा प्रसाद साहू, प्रोफेसर जगदीश प्रसाद यादव, डॉ आदित्य विक्रम देव, प्रोफेसर साहू प्रकाश लाल, विनायक लाल, साधो उरांव, लोयो उरांव, सच्चिदानंद उरांव, जगरनाथ साहू, गजराज महतो आदि मौजूद थे.
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