प्राकृतिक खेती विषय पर संकुलवार चयनित सीआरपी का प्रशिक्षण संपन्न
गुमला. कृषि विज्ञान केंद्र बिशुनपुर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती योजना के तहत संकुलवार चयनित सीआरपी के लिए आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को हुआ. कार्यक्रम में सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र दिया गया. मुख्य अतिथि विकास भारती के संयुक्त सचिव महेंद्र भगत ने प्राकृतिक खेती जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. श्री भगत ने उपस्थित किसानों को प्रेरित किया कि वे पारंपरिक रासायनिक खेती को छोड़ कर प्राकृतिक खेती को अपनायें, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे और लोगों को स्वस्थ भोजन मिल सके. कहा कि प्राकृतिक खेती ही भविष्य की खेती है और हम सभी को मिल कर इसे सफल बनाना होगा. विशिष्ट अतिथि जिला उद्यान्न पदाधिकारी डॉक्टर तमन्ना परवीन ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी दी. उन्होंने किसानों को बताया कि कैसे वे इन योजनाओं का लाभ उठा कर अपनी खेती को और अधिक लाभकारी बना सकते हैं. केवीके गुमला के वैज्ञानिक व प्रधान डॉक्टर संजय कुमार ने प्राकृतिक खेती के वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए कम लागत में अधिक उपज प्राप्त करने की जानकारी साझा की. उन्होंने किसानों को गोबर, गोमूत्र समेत अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग कर खाद व कीटनाशक बनाने की विधि की जानकारी दी. मुख्य प्रशिक्षु मृदा वैज्ञानिक डॉ नीरज कुमार ने मिट्टी की सेहत व प्राकृतिक खेती के बीच के संबंध की जानकारी दी. बताया कि प्राकृतिक खेती से मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, जिससे मिट्टी की संरचना व जल धारण क्षमता में सुधार होती है. उन्होंने किसानों को जैविक खाद, जीवा मृत व घन जीवा मृत बनाने की विधि का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया. साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक विभिन्न तकनीकों बीज उपचार, फसल चक्र, मिश्रित खेती व कीट प्रबंधन की जानकारी दी गयी.
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