Mann Ki Baat| बसिया (गुमला), कमलेश साहू : गुमला जिले से 70 किलोमीटर दूर बसिया प्रखंड क्षेत्र के कुम्हारी निवासी ओमप्रकाश साहू की कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में सुनायी है. ओमप्रकाश साहू बसिया प्रखंड के ऐसे क्षेत्र से आते हैं, जहां कभी नक्सलियों एवं उग्रवादियों की वजह से लोग दिन के उजाले में भी जाने से डरते थे. आज उस क्षेत्र में मत्स्य पालन ने ग्रामीणों की तस्वीर बदल दी है.
ओमप्रकाश साहू की पहल पर 20 तालाबों का हुआ निर्माण
यह संभव हो पाया है, केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से. ओमप्रकाश साहू ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इस योजना के माध्यम से एक ही स्थान पर 20 तालाबों का निर्माण कराया. स्थानीय ग्रामीण संगठित रूप से इन तालाबों में मत्स्य पालन कर रहे हैं.

भाकपा माओवादी और पीएलएफआई में थी वर्चस्व की जंग
आज से एक दशक पूर्व इस क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) एवं उग्रवादी संगठन पीएलएफआई वर्चस्व के लिए जमींदारों और आम नागरिकों को बेवजह जान से मार डालते थे. ग्रामीण बताते हैं कि स्थिति ऐसी थी कि लोग रात के अंधेरे की बात तो दूर, दिन के उजाले में भी अपने घरों से बाहर निकलने से डरते थे.
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नक्सलवाद खात्म होने के बाद सामने आयी रोजगार की समस्या
परिस्थितियां बदलीं. लोगों ने पुलिस प्रशासन के सहयोग से नक्सलियों और उग्रवादियों के खिलाफ बिगुल फूंका और फिर धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया. स्थिति सामान्य होने के बाद यहां के लोगों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या थी, रोजगार पाने की.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना बना ग्रामीणों का सहारा
ग्रामीणों का सबसे बड़ा सहारा बनकर सामने आया, भारत सरकार की ओर से मछली पालन के क्षेत्र में विकास के लिए शुरू की गयी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना. इस योजना से जुड़कर ओमप्रकाश साहू ने ग्रामीणों के सहयोग से मछली उत्पादन शुरू कर अपनी आय में वृद्धि की है.
अगर रास्ता सही हो और मन में भरोसा हो तो बेहद कठिन परिस्थितियों में भी विकास का दीप जल सकता है। झारखंड में गुमला के ओमप्रकाश साहू जी की कहानी में इसी की प्रेरणा है। #MannKiBaat @narendramodi @PMOIndia @PIBHindi pic.twitter.com/cEyy7JxY7t
— PIB in Jharkhand 🇮🇳 (@RanchiPIB) July 27, 2025
धान की खेती से अधिक मछली से हो रही है कमाई
ओमप्रकाश साहू बताते हैं कि जितनी आय धान की खेती से नहीं होती, उससे कहीं अधिक मत्स्य पालन कर कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि जिनके पास खुद का तालाब था, वे तो खेती कर ही रहे थे, जिनके पास तालाब नहीं था, वे सरकारी तालाबों को लीज पर लेकर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से मत्स्य पालन कर रहे हैं.
रोजगार के लिए अब पलायन नहीं करते लोग – ओमप्रकाश
उन्होंने बताया कि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए बिना किसी भेदभाव के सामूहिक रूप से मिलकर मछली पालन के माध्यम से रोजगार का एक नया जरिया खोला है. ओमप्रकाश साहू ने बताया कि अब जब नक्सलवाद का दौर खत्म हो चका है, तो लोगों को रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ रहा है.

मजदूरों को गांव में ही मिल गया है रोजगार
प्रदेश के किसी इलाके में मुश्किल से रोजगार मिल भी जाता था, तो जितनी आय नहीं होती थी, उससे अधिक खर्च हो जाता था. अब मजदूरों को पलायन करने कि जरूरत नहीं है, क्योंकि अब गांव में ही उन्हें रोजगार मिल गया है.
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