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राज्य में पेसा कानून लागू करे सरकार, नहीं तो उखाड़ फेकेंगे : प्रमोद

प्रेस कॉन्फ्रेंस. आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों की राज्य में पेसा कानून लागू करने की मांग

गुमला. झारखंड राज्य में पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय के विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा गुमला से रांची तक पदयात्रा की जायेगी. सामाजिक कार्यकर्ता निशा भगत के नेतृत्व में पदयात्रा का शुभारंभ 11 जुलाई को सुबह 10 बजे लिटाटोली स्थित स्व कार्तिक उरांव के समाधि स्थल के समीप से होगी और रांची राजभवन पहुंच कर संपन्न होगी. इस संबंध में सामाजिक संगठनों द्वारा गुमला शहर के पालकोट रोड स्थित सरना स्थल पर सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गयी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय सरना समिति रांची के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रमोद एक्का ने कहा कि देश के 10 राज्यों में पेसा कानून लागू हो गया. लेकिन अभी तक झारखंड व ओड़िशा सरकार द्वारा राज्य में पेसा कानून को लागू नहीं किया गया है, जिसका खामियाजा राज्य के आदिवासी समाज पर पड़ रहा है. यदि स्थिति यही रही, तो आदिवासी समुदाय के लोग अपने ही घर में अपना अस्तित्व नहीं बचा पायेंगे. कहा कि पदयात्रा के माध्यम से राज्य सरकार को राज्य में पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर मांग पत्र सौंपा जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को राज्य में पेसा कानून लागू करना होगा, नहीं तो सरकार को उखाड़ फेकेंगे. मूली पड़हा गुमला के कहतो महेंद्र उरांव ने कहा कि राज्य में पेसा कानून बहुत जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा कि हम आदिवासियों की रूढ़ीवादी परंपरा है. लेकिन खुद को आदिवासी कहने वाले गैर आदिवासियों के कारण हमारी रूढ़ीवादी परंपरा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. झारखंड सरकार से हमारी मांग है कि राज्य में पेसा कानून लागू किया जाये, ताकि आदिवासी समाज की परंपरा व अस्मिता बची रहे. फूलचंद उरांव ने कहा कि पेसा कानून लागू करने के लिए हम प्रजातांत्रिक तरीके से हर तरह से लड़ाई लड़ने को तैयार रहे हैं. राज्य में पेसा कानून लागू हो. इसके लिए अभी पदयात्रा की जायेगी. इसके बाद भी यदि सरकार पेसा कानून लागू नहीं करती है, तो सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करेंगे. सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ी, तो आमरण अनशन समेत अन्य आंदोलन भी करेंगे. इसके बाद भी सरकार द्वारा पेसा कानून लागू नहीं किया जाता है, तो खुद से ही पेसा कानून लागू करेंगे, जिसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी. सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र लाल उरांव ने कहा कि पेशा कानून से ही हम आदिवासियों का अस्तित्व बचेगा. इसलिए इसे लागू करना जरूरी है. सरकार पेसा कानून लागू करें, तो नहीं परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे. निशा भगत ने कहा कि राज्य में पेसा कानून लागू करने के लिए आंदोलन की शुरुआत 11 जुलाई से होगी. उन्होंने बताया कि पदयात्रा में काफी संख्या में लोग शामिल होंगे. आदिवासी समुदाय के सभी सामाजिक संगठनों द्वारा समर्थन मिल रहा है. मौके पर केंद्रीय सरना समिति की संयोजक नीरा टोप्पो, केंद्रीय प्रवक्ता ऐंजल लकड़ा, विनोद मिंज, हांदु भगत मौजूद थे.

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