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टूट कर गिर रहा छत का छज्जा, बारिश होने पर टपकता है पानी

राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तर्री का भवन जर्जर, कमरों में सीपेज करता है पानी

गुमला. शहर से सटे फसिया पंचायत के राजकीय उत्क्रमित मवि तर्री गुमला- टू का भवन जर्जर हो गया है. विद्यालय के भवन की छत का छज्जा टूट कर गिर रहा है. कई खिड़कियां बेकार हो चुकी हैं. साथ ही अभी बरसात के मौसम में विद्यालय भवन के प्राय: कमरों में पानी सीपेज हो रहा है. अधिक या लगातार घंटों तक बारिश होने पर कई कमरों में पानी टपकने लगता है. इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती रहती है. बिजली व्यवस्था की बात करें, तो विद्यालय के कुछ कमरों को छोड़ कर अधिकांश कमरों में बिजली कनेक्शन नहीं है. बिजली की सुविधा नहीं होने तथा अभी बरसात के मौसम में दिन में मौसम खराब होने के बाद अंधेरे जैसा माहौल हो जाता है. जिस कारण बच्चों को कमरे में पढ़ाई के लिए पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाती है. ग्राउंड फ्लोर से पहले फ्लोर पर जाने वाली सीढ़ियों पर रेलिंग नहीं लगायी गयी है. सबसे बड़ी समस्या विद्यालय में शिक्षकों का घोर अभाव है. इन सभी समस्याओं के बीच बच्चे किसी प्रकार अपना भविष्य गढ़ने में लगे हैं. ज्ञात हो कि विद्यालय में वर्ग एक से आठ तक पढ़ाई होती है. विद्यालय में कुल 164 बच्चे नामांकित हैं, जिसमें वर्ग एक में 14 बच्चे, दो में 18 बच्चे, तीन में 21 बच्चे, चार में 24 बच्चे, पांच में 27 बच्चे, छह में 24 बच्चे, सात में 23 बच्चे व वर्ग आठ में 13 बच्चे नामांकित हैं.

वर्ग छह, सात व आठ के लिए शिक्षक नहीं

विद्यालय में शिक्षकों का अभाव है. सबसे अधिक अभाव वर्ग छह, सात व आठ के शिक्षकों का है. इन वर्गों के लिए विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं है. प्राथमिक वर्ग एक से पांच तक में पढ़ाने वाले प्रभारी एचएम सर्वेश्वर कुमार, अरुण सिंह, राम बालक गोप व बंधन सिंह द्वारा माध्यमिक वर्ग छह, सात व आठ के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इसका सीधा असर बच्चों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है. शिक्षकों की कमी से वर्ग तीन व चार तथा वर्ग पांच व छह के बच्चों को एक ही कमरे में बैठा कर पढ़ाया जाता है.

स्टोर रूप में पड़ी हैं पुस्तकें व फाइलें: विद्यालय के स्टोर रूम की व्यवस्था ठीक नहीं है. स्टोर रूम में पुस्तक कॉपी व फाइल समेत कई आवश्यक चीजें पड़ी हैं. लेकिन उसके रखरखाव की व्यवस्था ठीक नहीं है. बरसाती पानी से भींग कर खराब हो रही है. वहीं स्टोर रूम के बाहर बरामदे में टूटे बेंच-डेस्क पड़े हैं.

हर साल मिलता है 50 हजार

विद्यालय प्रबंधन को विद्यालय मद में हर साल 50 हजार रुपये मिलता है. इसके बावजूद विद्यालय में कई प्रकार की समस्या व कमियां व्याप्त हैं. यदि उक्त राशि का सदुपयोग किया जाये, तो विद्यालय की कई समस्याओं व कमियों को दूर किया जा सकता है. लेकिन विद्यालय की स्थिति देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि समुचित फंड का उपयोग नहीं किया जाता है.

प्रभारी एचएम ने कहा

विद्यालय के प्रभारी एचएम सर्वेश्वर कुमार ने बताया कि विद्यालय मद में जो राशि प्राप्त होती है, उसे विद्यालय का रंग-रोगन कराने व कुर्सी, टेबल समेत अन्य जरूरत की खरीदारी पर खर्च किया जाता है. विद्यालय में शिक्षकों की कमी व जर्जरता के संबंध में बताया कि हर मासिक गुरुगोष्ठी में शिक्षकों की कमी की समस्या व भवन की मरम्मत की बात उठायी जाती है. लेकिन समस्या दूर करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.

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Prabhat Khabar News Desk
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