गुमला. प्रभात खबर में 12 जुलाई को टूट कर गिर रहा छत का छज्जा, टपकता है पानी शीर्षक से छपी खबर पर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है. उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसइ) नूर आलम खां को राजकीय उत्क्रमित मवि तर्री का निरीक्षण व जांच करने का आदेश दिया. इसके आलोक में डीएसइ ने बीपीओ ओपी दास व जेइ जुल्कर नैन के साथ विद्यालय पहुंच कर जांच की. डीएसइ ने बताया कि उपायुक्त के निर्देश पर विद्यालय की जांच की गयी. जांच में पाया गया कि दो मंजिला भवन के सबसे ऊपर छत पर काफी गंदगी है. छत की साफ-सफाई नहीं होने से बरसाती पानी की निकासी का रास्ता बंद हो गया था, जिससे छत पर जलजमाव होने से पानी सीपेज कर रहा है. इस प्रकार लाइब्रेरी अस्त-व्यस्त पायी गयी. लाइब्रेरी में पुस्तकों व कॉपियों का सही से रखर-खाव नहीं किया जा रहा है. इस कारण लाइब्रेरी की स्थिति काफी खराब है. डीएसइ ने बताया कि उन्होंने एमडीएम कक्ष का भी निरीक्षण किया, जिसमें पाया गया कि एमडीएम का बरतन विद्यालय में नहीं है. विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि विद्यालय में चोरी होने का भय है. इसलिए सभी बरतन घर में रखा हुआ है. डीएसइ ने बताया कि विद्यालय में हर साल मिलने वाली राशि की उपयोगिता से संबंधित रजिस्टर संधारण भी नहीं पाया गया. विद्यालय मद में सालाना मिलने वाली राशि के अलावा अभी हाल के समय में ही विद्यालय के इको क्लब में 10 हजार रुपये उपलब्ध कराया गया है. शिक्षकों की लापरवाही से विद्यालय की स्थिति खराब है. डीएसइ ने बताया कि विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक का वेतन आगे आदेश तक स्थगित करते हुए शोकॉज किया गया है.
सीआरपी का भी वेतन होगा स्थगित
डीएसइ ने बताया कि प्रभारी प्रधानाध्यापक के साथ ही संबंधित सीआरपी पुष्पा कुमारी का भी वेतन स्थगित किया जायेगा. क्योंकि सीआरपी का दायित्व विद्यालय के प्रति है. लेकिन सीआरपी द्वारा ध्यान नहीं दिये जाने से विद्यालय ऐसी स्थिति है. सीआरपी को भी शोकॉज किया गया है. डीएसइ ने बताया कि विद्यालय की छत की नियमित साफ-सफाई कराने व बेकार हो गयी खिड़कियों की जगह पर नयी खिड़कियां लगाने का निर्देश दिया गया है. साथ ही इको क्लब में मिले फंड से विद्यालय की जमीन पर पिलर लगा कर सीमांकन करने का निर्देश दिया गया है.
नेताओं ने पैरवी नहीं चली
विद्यालय की जांच में कई समस्याएं व कमियां उजागर होने के बाद नेताओं द्वारा पैरवी के लिए शिक्षा विभाग के एक पदाधिकारी को फोन किया गया था. लेकिन पदाधिकारी द्वारा नेताओं की किसी भी प्रकार की पैरवी को सुनने से इंकार कर दिया गया. पदाधिकारी द्वारा नेताओं से स्पष्ट कहा गया कि आप इस मामले में नहीं पड़े. जांच में कई समस्याएं व कमियां उजागर हुई हैं. इसके लिए संबंधित शिक्षक जिम्मेवार हैं. इस मामले में कार्रवाई तय है.
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