पालकोट. प्रशासन की बेरुखी के बाद ग्रामीणों ने श्रमदान कर सड़क बनायी और प्रशासन को आइना दिखाने का काम किया है. पालकोट प्रखंड के कुलूकेरा पंचायत के गंधारी गांव जानेवाली सड़क खराब है. ग्रामीणों ने एक-एक हजार रुपये चंदा कर सोमवार को उक्त सड़क को श्रमदान कर बनाया. सड़क बनाने को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन, सांसद, विधायक से गुहार लगा-लगा कर थक गये, पर कोई पहल नहीं होने पर खुद ही श्रमदान कर सड़क बनायी. गंधारी गांव पालकोट प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी दूर सिमडेगा जिले के सीमा क्षेत्र में है. यहां रौतिया जाति के 20 परिवार रहते हैं, जिसकी आबादी 150 है. गांव में एक नवप्राथमिक विद्यालय जर्जर है, जहां एक पारा शिक्षक है.
ग्रामीणों ने कहा, गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं
ग्रामीण कलुवा सिंह ने बताया कि हमारा गांव विकास के मामले में कोसों दूर है. गांव में मात्र एक नव प्राथमिक विद्यालय है, जो जर्जर स्थिति में है. जान जोखिम डाल कर बच्चे पढ़ाई करते हैं. रवि सिंह ने कहा कि गांव में रोड, बिजली, पानी की सुविधा नहीं है. आवागमन के लिए हम ग्रामीणों ने श्रमदान कर सड़क बनायी. मोहन सिंह ने कहा कि वोट के समय राजनीति पार्टी के लोग आते हैं और वादा कर चलते बनते हैं. चुनाव जीतने के बाद गरीब को कोई देखने वाला नहीं है. धनकेश्वर सिंह ने बताया कि हमारे गांव गंधारी आने जाने के लिए रोड नहीं है. हमने आज सभी घर घर से एक-एक हजार रुपये चंदा कर रोड बनाने के लिए बालू, सीमेंट, चिप्स खरीद कर श्रमदान कर रोड बना रहे हैं. हमारी पंचायत का न तो मुखिया साथ देता है और न ही कोई बड़े नेता. पुष्पा देवी ने कहा कि गांव में आवागमन, पेयजल व बिजली की परेशानी है. हमने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को इसकी जानकारी दी है, पर कोई सुनवाई नहीं हुई. हम सभी गांव वासी 2023 में आवेदन बना कर गुमला डीसी को भी गांव की समस्या के बारे में जानकारी दी थी. डीसी साहब भी हमारी फरियाद नहीं सुने. विनिता देवी ने कहा कि मुखिया वोट मांगने आते हैं और बोलते हैं. आपलोगों का काम हो जायेगा. ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के ही एक व्यक्ति पक्का आवास दिलवा देंगे बोल कर हमसे एक-एक हजार रुपये ले लिये, परंतु आज तक आवास नहीं मिला. यशोदा देवी ने कहा कि विवश होकर आज हम हमारे गांव आने-जाने के लिए श्रमदान कर रोड बना रहे हैं. राधा देवी ने कहा कि हमारे गांव में गाड़ी नहीं आती हैं. इसलिए गांव का विकास नहीं हो रहा है. हमने मुखिया से लेकर डीसी तक आवेदन दिये. लेकिन कोई भी हमारे दुखड़ा को सुनने वाला नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है