Kolhan University: जमशेदपुर, संदीप सावर्ण-कोल्हान विश्वविद्यालय के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा करीब 30,000 विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन सत्र 2017-20, 2018- 21 , 2019-22, 2020-23 , 2021-24 के परीक्षार्थियों के जेनरिक पेपर-1 और 2 की परीक्षा लेना ही भूल गया यानी जो परीक्षा आज से करीब सात वर्ष पूर्व हो जानी थी, उसे लेने की सुगबुगाहट अब शुरू हुई है. इसे लेकर विद्यार्थियों में रोष है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रबंधन अब दोबारा परीक्षा लेने की तैयारी कर रहा है. अब सवाल यह है कि इस जेनरिक पेपर की परीक्षा अगर हो भी जाती है तो विद्यार्थियों को इसमें हासिल अंक के लिए अलग से मार्क्सशीट जारी किया जाएगा? यानी स्नातक की परीक्षा में विद्यार्थी के पास दो-दो मार्क्सशीट होगी.
क्या है पूरा मामला?
मार्च 2015 में यूजीसी ने देशभर के सभी केंद्रीय, राज्य, डीम्ड और निजी विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर सीबीसीएस ( च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम ) अपनाने का निर्देश दिया. इसे सत्र 2015-2016 में डीयू, जेएनयू समेत कई केंद्रीय और कुछ राज्य विश्वविद्यालयों ने अपनाना शुरू किया. 2017 में कोल्हान विवि में भी इसे लागू किया गया. शुरू में जब सीबीसीएस सिस्टम लागू किया गया था तब जेनरिक पेपर में छात्रों को सीमित विकल्प मिलते थे. एक ही परीक्षा ली जानी थी, इसी बीच इसमें संशोधन किया गया. दो पेपर की परीक्षा शुरू हुई. लेकिन, इस संशोधन के बावजूद कोल्हान विवि में उक्त जेनरिक पेपर की परीक्षा हुई ही नहीं.
इस परीक्षा के नहीं होने से क्या हो रहा है नुकसान ?
कोल्हान विवि के पूर्व अधिकारियों की लापरवाही से यह नुकसान हो रहा है कि विश्वविद्यालय से पासआउट स्टूडेंट अगर उच्च शिक्षा के लिए किसी अच्छे संस्थान में एडमिशन लेते हैं तो वहां उनसे जेनरिक पेपर के अंक की मांग की जाती है तो उनके पास यह नहीं रहता है. क्योंकि यह परीक्षा ही नहीं हुई. इससे उन्हें एडमिशन लेने में कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, अगर कोई नौकरी में लग चुके हैं तो उन्हें इस जेनरिक पेपर से कोई खास नुकसान नहीं हो रहा है. लेकिन, जिस सत्र में उन्होंने पास किया है, उस सत्र में सीबीसीएस सिस्टम लागू था, भविष्य में अगर मार्क्सशीट में जेनरिक पेपर के अंक की डिमांड की गयी तो उन्हें परेशानी हो सकती है.
विद्यार्थियों की डिमांड के बाद होने जा रही है परीक्षा
कोल्हान विवि में बगैर जीइ-1 व जीइ-2 की परीक्षा के ही विद्यार्थी पास कर विभिन्न जगहों पर सेटल हो गए है. लेकिन, लगातार विवि प्रबंधन को यह शिकायत मिल रही थी कि पूर्व के विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छात्रहित को देखते हुए वर्तमान कुलपति डॉ अंजिला गुप्ता ने सत्र 2017-20, 2018- 21 , 2019-22, 2020-23 , 2021-24 में परीक्षा से वंचित विद्यार्थियों की परीक्षा लेने की पहल शुरू की है, ताकि पूर्व की गलतियों को सुधारा जा सके.
सुलगते सवाल
- जब पूर्व छात्रों ने पहले हुई परीक्षा के लिए शुल्क दिया ही था, तो विश्वविद्यालय प्रबंधन की गलतियों की वजह से दोबारा हो रहे परीक्षा का अतिरिक्त शुल्क वे क्यों दें ? जानकारी के मुताबिक प्रति छात्र करीब 480 रुपये का शुल्क लग रहा है. विवि की लापरवाही का आर्थिक बोझ विद्यार्थी क्यों भुगते ?
- जेनरिक पेपर में हासिल अंक के लिए अलग से एक मार्क्सशीट जारी किया जाएगा. इस मार्क्सशीट की वजह से देश के अन्य बड़े संस्थानों में विद्यार्थी को लेकर क्या संशय की स्थिति नहीं उत्पन्न होगी ?
- परीक्षा पास करने के बाद हजारों विद्यार्थी कोल्हान से बाहर चले गए हैं. लेकिन, विवि प्रबंधन द्वारा नए सिरे से परीक्षा ली जा रही है, इसकी जानकारी उन तक कैसे पहुंचेगी, इसे लेकर अब तक विवि के स्तर तक कोई मैकेनिज्म क्यों नहीं तैयार किया है. ?
छात्रहित में जेनरिक पेपर की परीक्षा लेने की हुई घोषणा-प्रवक्ता
कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ एके झा ने कहा कि कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अंजिला गुप्ता द्वारा छात्रहित में जेनरिक पेपर की परीक्षा लेने की घोषणा की गई है, ताकि पूर्ववर्ती विद्यार्थियों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो. परीक्षा की तैयारी के लिए विद्यार्थियों को पर्याप्त समय दिया जाएगा. विद्यार्थी वेबसाइट जरूर देखते रहें. परीक्षा की तिथि अभी तय नहीं हुई है.
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