28.3 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

देश को आत्मनिर्भर बनाने में दिया योगदान : 113 साल पहले आज ही के दिन रखी गयी थी टाटा स्टील की नींव

अपना देश भले 1947 में आजाद हुआ, लेकिन भारत में आर्थिक आजादी का आगाज देश की स्वतंत्रता से 40 साल पहले यानी 1907 में ही हो चुका था. भारत के पहले इस्पात कारखाना टाटा स्टील (तब टिस्को) की स्थापना 113 साल पहले 26 अगस्त 1907 को की गयी थी.

जमशेदपुर : अपना देश भले 1947 में आजाद हुआ, लेकिन भारत में आर्थिक आजादी का आगाज देश की स्वतंत्रता से 40 साल पहले यानी 1907 में ही हो चुका था. भारत के पहले इस्पात कारखाना टाटा स्टील (तब टिस्को) की स्थापना 113 साल पहले 26 अगस्त 1907 को की गयी थी. मात्र 2.31 करोड़ (2,31,75,000) रुपये की मूल पूंजी के साथ भारत में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को) के रूप में टाटा स्टील को पंजीकृत किया गया. 1908 में निर्माण शुरू हुआ और 16 फरवरी, 1912 को स्टील का उत्पादन शुरू हुआ. टाटा स्टील की उत्पत्ति, औद्योगिकीकरण के युग में कदम रखने और भारत को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए जेएन टाटा को जाना जाता है.

वह थॉमस कार्लाइल (एक ब्रिटिश निबंधकार, व्यंग्यकार और इतिहासकार, जिनकी कृतियां विक्टोरियन युग के दौरान बेहद प्रभावशाली थीं) के कथन ‘जो राष्ट्र लोहे पर नियंत्रण हासिल करता है, वह शीर्घ ही सोने पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है’ से काफी प्रभावित थे. 1904 में पीएन बोस ने जेएन टाटा को लिखे गये ऐतिहासिक पत्र में मयूरभंज के लौह भंडार के बारे में बात की थी. इस तरह से, पूर्वी भारत के आदिवासी क्षेत्र में टाटा अभियान दल का प्रवेश हुआ, जो अब तक भारत के पहले स्टील प्लांट की स्थापना के लिए संभावित स्थान की खोज कर रहा था.

इस परियोजना के विशेषज्ञ यूएसए से आये थे और चार्ल्स पेज पेरिन इसके मुख्य सलाहकार थे. आज की तारीख में टाटा स्टील ग्रुप (ग्लोबल) में 65 हजार स्थायी व 50 हजार अस्थायी (भारत) कर्मचारी कार्यरत हैं. महज 2.31 करोड़ रुपये की पूंजी से खड़ा होने वाले इस कारखाने का सालाना टर्नओवर 139817 करोड़ रुपये से अधिक है. सालाना क्रूड स्टील का उत्पादन 28.5 मिलियन टन है. 15 सौ एकड़ क्षेत्र में फैले कारखाना और इस शहर की आज पूरी दुनिया में अलग पहचान है.

कर्मचारियों को वेतन देने को पत्नी का आभूषण व व्यक्तिगत संपत्ति रखी गिरवी : सर दोराबजी टाटा ने 1924 में अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना किया, जब टाटा स्टील का महत्वाकांक्षी विस्तार कार्यक्रम विपरीत परिस्थितियों में उलझ गया. यह उनकी दृढ़ता थी, जिसने युद्ध के बाद की अवधि में पांच गुना विस्तार कार्यक्रम पर काम करने के लिए कंपनी को आगे बढ़ने का हौसला प्रदान किया. कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त पैसे नहीं थे. सर दोराबजी टाटा ने अपनी पूरी व्यक्तिगत संपत्ति गिरवी रख दी. इसमें उनका मोती जड़ित टाइपिन और उनकी पत्नी का एक जुबली डायमंड भी शामिल था, जो ऐतिहासिक हीरा कोहिनूर के आकार से दोगुना था. इंपीरियल बैंक ने उन्हें एक करोड़ रुपये का व्यक्तिगत ऋण दिया, जिसका इस्तेमाल उन्होंने कंपनी को इस कठिन परिस्थिति से बाहर निकालने के लिए किया और इसे मिटने से बचा लिया.

सर दोराबजी टाटा को ‘जमशेदपुर का वास्तुकार’ के रूप में जाना जाता है, जिसे उन्होंने कर्मचारियों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करने के अपने पिता के दृष्टिकोण (विजन) के अनुरूप बनाया. जब उन्होंने 1907 में कंपनी की स्थापना की, तो साकची सिर्फ एक झाड़, जंगल था. 10 वर्ष के बाद टाउनशिप में 50,000 निवासी थे. 1,500 एकड़ जमीन की आवश्यकता वाले उद्योग को चलाने के लिए टाटा ने 15,000 एकड़ के शहर का प्रबंधन किया. आज की टाटा स्टील उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के प्रति उनके जुनून का प्रतीक है. सर दोराबजी टाटा जैसे दूरदर्शी निष्ठावान हस्ती के कार्यों और जुनून से प्रेरित होकर टाटा स्टील निरंतर उतकृष्टता के बेंचमार्क निर्धारित कर रही हैै.

बैलगाड़ी पर बैठ कर लाैह अयस्क की खोज करने वाले सर दोराबजी टाटा की 161वीं जयंती कल

टाटा स्टील और ग्रुप के लिए 26 अगस्त जितना महत्वपूर्ण है, 27 अगस्त उतना ही खास है. 27 अगस्त 1859 को टाटा घराने के उस व्यक्ति का जन्म हुआ, जिन्होंने बैल गाड़ियों पर सवार होकर मध्य भारत में लौह अयस्क की खोज की थी. जेएन टाटा के सबसे बड़े पुत्र थे सर दोराबजी टाटा. उन्होंने अपने पिता जेएन टाटा की दूरदृष्टि को अमली जामा पहनाने का बीड़ा उठाया. सर दोराबजी टाटा ने स्टील और पॉवर को मजबूत कर ‘विजन ऑफ इंडिया’ को आकार दिया.

उन्होंने पूरे राष्ट्र से भारत में स्टील प्लांट बनाने की भव्य योजना का हिस्सा बनने की अपील की. उन्होंने 80,000 भारतीयों को औद्योगिकीकरण की इस यात्रा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. ‘स्वदेशी’ (भारतीय) इकाई के लिए किये गये इस आह्वान को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और तीन सप्ताह के भीतर पूरी राशि जुटा ली गयी. 1907 में स्थापना से लेकर 1932 तक कंपनी के चेयरमैन के रूप में सर दोराबजी टाटा ने देश के पहले स्टील प्लांट के निर्माण के लिए लगभग 25 वर्षों तक, जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक अथक परिश्रम किया. 1920 में श्रमिक हड़ताल के दौरान वे जमशेदपुर आये और श्रमिकों की शिकायतें सुनी. उनके कारण ही श्रमिकों ने हड़ताल समाप्त की.

Post by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel