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हाइवा से ट्रांसपोर्टेशन के निर्णय पर डंपर मालिक-चालकों में रोष, दी चेतावनी

हाइवा से ट्रांसपोर्टेशन के निर्णय पर डंपर मालिक-चालकों में रोष

बैठक कर चितरा इसीएल प्रबंधन पर मनमानी करने का लगाया आरोप वाहन मालिकों ने कहा, लाखों खर्च कर डंपर कराया अपडेट, अब हटाने की तैयारी संवाददाता, जामताड़ा. चितरा ईसीएल में कोयला ढुलाई के कार्य से वर्षों से जुड़े स्थानीय डंपर मालिकों और चालकों का आक्रोश अब खुलकर सामने आ गया है. कोलियरी प्रबंधन की ओर से डंपरों को हटाकर हाईवा से ट्रांसपोर्टेशन कराने की योजना को लेकर क्षेत्र में उबाल है. इसी को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष वीरेंद्र मंडल के आवास पर रविवार को एक बैठक हुई, जिसमें बड़ी संख्या में डंपर मालिक और चालक शामिल हुए. बैठक में डंपर चालकों और मालिकों ने चितरा कोलियरी प्रबंधन की नीतियों को तानाशाहीपूर्ण और एकतरफा बताते हुए विरोध जताया. सभी ने कहा कि यदि प्रबंधन अपनी जिद पर अड़ा रहा और डंपरों को हटाने की कार्रवाई करता है, तो रेलवे साइडिंग को पूरी तरह से ठप कर देने का आंदोलनात्मक निर्णय लिया जाएगा.बैठक के दौरान डंपर मालिकों ने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से कोलियरी क्षेत्र में कोयला ढुलाई के कार्य से जुड़े हैं. यह कार्य पूरी ईमानदारी, जिम्मेदारी और तकनीकी मापदंडों के अनुसार किया गया है. डंपरों के सभी कागजात वैध हैं, वाहनों की फिटनेस दुरुस्त है, और इंश्योरेंस से लेकर परमिट तक सभी दस्तावेज़ उपलब्ध हैं. मालिकों और चालकों ने कहा कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर अपने डंपरों को अपडेट कराया है, इसके बावजूद उन्हें हटाने की कोशिश करना केवल स्थानीय रोजगार पर हमला है. भाजपा नेता वीरेंद्र मंडल ने डंपर मालिकों और चालकों की बात को गंभीरता से सुना और कहा कि यह सरासर अन्याय है. इन लोगों ने चितरा कोलियरी की नींव मजबूत की है. वर्षों से यहां कोयला ढुलाई का कार्य करते आ रहे हैं. ट्रांसपोर्टर तो बदलते रहे, लेकिन स्थानीय डंपर चालकों की निष्ठा और श्रम ही असली आधार रहा है. अब यदि ईसीएल प्रबंधन हाईवा को बढ़ावा देने के नाम पर इन्हें हटाता है, तो यह न केवल रोजगार छीनने का कार्य होगा, बल्कि स्थानीय जनता के विश्वास को तोड़ने जैसा भी होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही डंपर चालकों और मालिकों के साथ मिलकर उपायुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी और चितरा कोलियरी प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा जाएगा. यदि इसके बावजूद समाधान नहीं हुआ, तो रेलवे साइडिंग को पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी केवल कोलियरी प्रबंधन की होगी. डंपर चालकों ने कहा कि यदि यह अन्याय नहीं रुका, तो वे अपने परिवार के साथ धरना, सड़क जाम और रेलवे साइडिंग बंद जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे. यह आंदोलन अब केवल एक समूह की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आजीविका और सम्मान की लड़ाई बन चुका है. बता दें कि चितरा इसीएल से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक के लिए डंपरों से कोयले की ढुलाई फिलहाल ठप है. ………………… डंपर मालिकों और चालकों की मुख्य समस्याएं: बाहरी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए डंपरों को हटाकर हाइवा को प्राथमिकता देना, स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को नजरअंदाज करना जो वर्षों से सेवा दे रहे हैं पूरे दस्तावेज़ और फिटनेस के बावजूद डंपर हटाने की धमकी देना स्थानीय युवाओं के रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव डालना जिससे सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है

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