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समाज, देश की वर्तमान स्थिति में एक और हूल की आवश्यकता: डॉ भंडारी

समाज, देश की वर्तमान स्थिति में एक और हूल की आवश्यकता: डॉ भंडारी

संवाददाता, जामताड़ा. हूल दिवस के पूर्व संध्या पर रविवार को एक विचार गोष्ठी का आयोजन संताल एजुकेशन ट्रस्ट एवं मांझी परगना सरदार महासभा, जामताड़ा जिला के संयुक्त तत्वाधान में जे बी सी जिला मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय, जामताड़ा में किया गया. विचार गोष्ठी का विषय ” 1855 के महान हूल से प्राप्त संताल परगना एवं यहाँ की जमीन, संस्कृति, लोक तथा स्वशासन व्यवस्था को संरक्षित करने के लिए बने विशेष कानून तथा संवैधानिक अधिकारों की वर्तमान स्थिति ” पर समाज के बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों ने उपस्थित छात्र-छात्राओं व लोगों के साथ अपने विचार साझा किया. संताली, हिन्दी, संस्कृत, बांग्ला एवं अंगिका भाषा के प्रख्यात विद्वान तथा साहित्यकार डॉ डोमन साहू ””समीर”” को उनकी जयंती 30 जून के पूर्व संध्या पर भी याद किया गया. उन्हें संताली साहित्य में विशेष योगदान तथा संताली पत्रिका “होड़ सोम्बाद ” के सफल प्रकाशन के लिए स्मरण किया गया. विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता शिक्षाविद्, सेवानिवृत शिक्षक डॉ डीडी भंडारी ने 1855 के महान हूल को अंग्रेजों के विरुद्ध देश की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि, समाज, देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वर्तमान में एक और हूल की आवश्यकता है. राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक सुनील कुमार बास्की ने विषय प्रवेश करते हुए वर्तमान समय में समाज के समक्ष उपस्थित सामाजिक, राजनैतिक संकट को देखते हुए युवाओं को जागरूक एवं संगठित होने का आह्वान किया. मांझी परगना सरदार महासभा, जामताड़ा जिला के सचिव सुनील कुमार हांसदा ने संताल परगना जिला के विभाजन के पश्चात विभिन्न जिलों का गलत नामकरण का विषय उठाया. उन्होंने इस संबंध एक ज्ञापन सरकार के समक्ष रखने की बात की, सभी जिलों के नाम में संताल परगना जोड़ा जाये जैसे दक्षिण संताल परगना जामताड़ा, पश्चिम संताल परगना देवघर, उत्तर संताल परगना साहेबगंज, पूर्व संताल परगना पाकुड़, मध्य संताल परगना दुमका, उत्तर पश्चिम संताल परगना गोड्डा इत्यादि. जिलों के नाम से संताल परगना को हटाना हूल के महत्व को घटाना है और यह एक प्रकार की साजिश है. मौके पर कवि धनेश्वर सिंह, माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला सचिव सुधीर सोरेन, सेवानिवृत शिक्षक हराधन मुर्मू, संताली लेखक एवं कवि वीरेंद्रनाथ हांसदा, शिक्षक बलदेव मुर्मू, शिक्षक शिवेंद्र हांसदा इत्यादि ने भी अपने विचार रखा. कार्यक्रम का संचालन विलियम हांसदा ने किया. मौके पर मुखिया सुखेंद्र टुडू, अनंत मरांडी, नाज़िर सोरेन, अनिल मुर्मू, नन्दलाल सोरेन आदि उपस्थित थे.

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