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लगातार हो रही बारिश से खेतों में बीज नहीं डाल पा रहे हैं किसान

नाला. झारखंड में मानसून प्रवेश करने में लगभग एक सप्ताह का समय शेष रह गया है. बीते कई दिनों से जमकर बारिश होने से जहां खेत मैदान में पानी जम गया है.

नाला. झारखंड में मानसून प्रवेश करने में लगभग एक सप्ताह का समय शेष रह गया है. बीते कई दिनों से जमकर बारिश होने से जहां खेत मैदान में पानी जम गया है. अब धान की खेती के लिए खेत तैयार होने की संभावना से क्षेत्र के किसानों में खुशी छायी हुई है. सोमवार दोपहर बाद जमकर बारिश होने से खेतों में पानी जमा गया है. धान का बीज खेतों में डालने के लिए किसान तैयारी में जुटे हुए थे, लेकिन अचानक बारिश के बाद बीज डाल नहीं पाएंगे. किसानों की माने तो इस बार निर्धारित समय से पहले मानसून ने दस्तक दे दी है. अच्छी बारिश की उम्मीद भी की जा रही है. इसलिए खेती कार्य के लिए रोहणी नक्षत्र को उत्तम माना जाता है. खरीफ फसल की खेती के लिए रोहणी नक्षत्र को शुभ माना जाता है. इसलिए रोहणी नक्षत्र का 15 दिन का समय किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस समय को किसान गंवाना नहीं चाहते हैं. जरूरत से अधिक बारिश होने के कारण किसान एक बार फिर चिंतित है. बताया कि रोहणी नक्षत्र को इसलिए उत्तम माना जाता है कि समय से बीज डालने से पैदावार अधिक होती है. पौधों में कीड़ा मकोड़ा कम लगता है तथा समय पर फसल तैयार हो जाता है. खेतों में अधिक नमी एवं गिला हो जाने से किसान बीच डालने के लिए खेतों को तैयार नहीं कर पा रहे हैं. जानकार किसानों का कहना है कि मनपसंद बारिश से खेती कार्य शुरू करने में काफी आसान तो होगा, लेकिन बिचड़ा तैयार नहीं होने से खेती कार्य भी पिछड़ जायेगा. आज की बारिश के बाद खेत पूरा गिला हो जाने से बीज डालने से पानी फेर दिया. पिछले वर्षों की अपेक्षा इस बार अधिक वर्षा होने तथा मनपसंद फसल होने की उन्होंने उम्मीद जताई है. जानकारी हो कि नाला विधानसभा क्षेत्र में किसी प्रकार का उद्योग नहीं रहने के कारण अधिकांश लोग खेती कार्य पर ही निर्भर हैं. यहां के किसानों का मुख्य धंधा खेती ही है और वह भी मानसून की बारिश पर ही निर्भर है. इसलिए समय से पूर्व मानसून आने से किसान काफी खुश हैं. ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि यहां विभिन्न विभागों में तालाब चेकडैम आदि बनाए गए हैं, जिससे अब भी पर्याप्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है. यही नहीं कई दशक से अजय बराज योजना निर्माणाधीन है जो अब अधूरा पड़ा हुआ है. अजय बराज अधूरा रहने के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को स्वयं विवश है, जिस उद्देश्य से नहर बनाने का कार्य किया गया था, उद्देश्य विहीन है और किसानों की खेतों का प्यास बुझाने में असमर्थ हैं और किसान आसमानी बारिश पर ही निर्भर है. इधर, धूप और गर्मी के इस मौसम में का मिजाज अचानक नरम होने से क्षेत्रवासियों को राहत मिली है.

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