जामताड़ा. प्रखंड के ढेकीपाड़ा गांव में जेएसएलपीएस से जुड़कर दो महिलाओं ने गरीबी और ताने से जूझते हुए आत्मनिर्भरता की एक मिसाल पेश की है. मेरुन निसा और जायदा खातून आज गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं. मेरुन निसा बताती हैं कि वह बेहद गरीब परिवार में पैदा हुई थीं और पढ़ाई-लिखाई तक नसीब नहीं हो पायी. शादी के बाद भी गरीबी का साया कायम रहा, क्योंकि उनके पति आलम अंसारी राजमिस्त्री का काम करते थे और परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पाता था. जेएसएलपीएस के जन्नत आजीविका सखी मंडल में जुड़ने के बाद उन्होंने 20,000 रुपये का लोन लिया और एक ब्यूटी पार्लर खोला. अब वह हर महीने 8 से 10 हजार रुपये कमा लेती हैं. वे प्यालसोला आजीविका क्लस्टर में सचिव और जन्नत आजीविका सखी मंडल में कोषाध्यक्ष का जिम्मा निभा रही हैं. मेरुन कहती हैं उनकी पति ने हर कदम पर साथ निभाया है, उन्हीं के सहयोग से वे यह मुकाम हासिल कर पायी है. अगर परिवार का सहारा मिले तो कोई राह मुश्किल नहीं रहती.
जायदा खातून ने लॉकडाउन में खड़ा किया सफल कारोबार :
जायदा खातून जो पढ़ाई में मैट्रिक तक नहीं पहुंच पाईं, आज अपनी तीन बेटियों को पढ़ाने का सपना साकार कर रही हैं. उनकी बड़ी बेटी मिहिजाम कॉलेज में इंटर की पढ़ाई कर रही है. दूसरी हाई स्कूल में है तो तीसरी कक्षा एक में पढ़ रही है. जेएसएलपीएस के समूह से महज 10,000 रुपये का कर्ज लेकर जायदा ने लॉकडाउन में कपड़े की दुकान खोली और आज वह दुकान दो लाख रुपये से अधिक की पूंजी तक पहुंच चुकी है. अब वह हर महीने 15,000 रुपये से अधिक कमा लेती हैं. जायदा बताती हैं कि जब उन्होंने यह कदम उठाया तो लोगों ने ताने दिए, मगर अब वे दूसरों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. वह गांव की महिलाओं को जागरूक करती हैं और उन्हें अधिकारों के प्रति सचेत करने का काम करती रहती हैं. जायदा कहती हैं मुझे मेरे पति और परिवार का पूरा सपोर्ट मिला है, जो मेरे लिए ताकत और हौसले का सहारा रहा है. जब परिवार साथ हो तो मुश्किलें भी आसान हो जाती है. कहना चाहूंगी कि सभी बहनें आगे बढ़ें और आत्मनिर्भर बनें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है