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यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा के लिए बना है कानून : पीडीजे

साइबर अपराध की रोकथाम के बारे में विस्तृत पूर्वक जानकारी दी. प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश राधा कृष्ण ने बताया कि पॉक्सो एक्ट लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 से भारत का एक विशेष कानून है.

पॉक्सो एक्ट व जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के कानून पर कार्यशाला का आयोजन प्रतिनिधि, जामताड़ा कोर्ट व्यवहार न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में पॉक्सो एक्ट एवं जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के नियम कानून पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राधा कृष्ण, कुटुंब न्यायालय के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार, सचिव पवन कुमार, प्रथम जिला जज संतोष कुमार, तृतीय जिला जज अजय कुमार श्रीवास्तव, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नीतीश निलेश संगा, एसीजेएम मोहम्मद नईम अंसारी, एसपी राजकुमार मेहता, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मोहनलाल बर्मन, बार एसोसिएशन के सचिव अरविंद सरकार, लीगल एंड डिफरेंट काउंसिल के सभी सदस्यों, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अंजू पोद्दार ने किया. इस अवसर पर पॉक्सो एक्ट व जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के कानून पर चर्चा की गयी. साइबर अपराध की रोकथाम के बारे में विस्तृत पूर्वक जानकारी दी. प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश राधा कृष्ण ने बताया कि पॉक्सो एक्ट लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 से भारत का एक विशेष कानून है. यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के सुरक्षा के लिए कानून बनाया गया है, जिसे नाबालिग बच्चों को किसी भी तरह के यौन अपराधों से बचाने और बाल यौन घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया गया है. इसमें अलग-अलग प्रकार के बाल यौन अपराध को परिभाषित और उनका वर्गीकरण किया गया है. साथ ही इसे उन अपराधों को गंभीरता के अनुसार अलग-अलग सजा का प्रावधान भी किया गया है. पॉक्सो एक्ट के तहत 18 साल के कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को बच्चों के रूप में परिभाषित किया गया है. प्रथम जिला जज संतोष कुमार ने विस्तृत रूप से महिलाओं, बच्चों, किशोरियों, कमजोर वर्ग को कानूनी सलाह एवं हिंसा के खिलाफ जानकारी दिया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव पवन कुमार ने मंच संचालन किया. मोटर दुर्घटना से संबंधित पीड़ित परिवार के सदस्यों को चेक का वितरण किया गया. ठगी का शिकार हो जाने पर टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल करें : एसपी वहीं एसपी ने साइबर अपराध की रोकथाम और साइबर से बचने के लिए उपाय के बारे में जानकारी दी. बताया कि किसी व्यक्ति ठगी का शिकार हो जाने पर सबसे पहले टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल करें. उसके बाद एफआईआर दर्ज करायें, उसके बाद कोर्ट में जाकर एक आवेदन दें, ताकि पीड़ित व्यक्ति का पैसा वापस हो सके. आज कंप्यूटर के उपयोग से ऑनलाइन क्राइम किया जाता है. किसी के कंप्यूटर से उसकी निजी जानकारी को निकाल लेना या चोरी कर लेना, धोखाधड़ी, बाल अश्लीलता, नफरत और उसका गलत इस्तेमाल करने को ही साइबर अपराध कहते हैं. फिशिंग उस क्राइम को कहते हैं जिसमें यूजर को फ्रॉड मेल भेज कर बेवकूफ बनाया जाता है और उसकी निजी जानकारी को चुराने की कोशिश की जाती है. इसमें ऑफर, इनाम, लॉटरी लगने मैसेज किए जाते हैं, ताकि यूजर लालच में आकर अपनी बैंक डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड को आसानी से दे सके. मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सहायक उपेंद्र कुमार, सुभाष दत्त, पीएलवी अमित मिश्रा, राजेश दत्त, निताई मंडल, श्याम सुंदर टुडू, मिहिर सिंह, विश्वजीत पाल, मेघा गुप्ता, जगत महतो आदि उपस्थित थे.

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