जामताड़ा. भोगनाडीह में सोमवार को हुए घटित घटना को लेकर पूरे आदिवासी समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है. मंगलवार को सांवता सुसार अखाड़ा के बैनर तले भगवान बिरसा मुंडा चौक पर विरोध प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनकारियों ने भोगनाडीह की घटना को आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक विरासत पर सीधा हमला बताया. निर्मल सोरेन ने कहा कि जिस भोगनाडीह की धरती से शहीद सिदो -कान्हू जैसे महान क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत हुई थी, वहां इस प्रकार की घटना होना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि अत्यंत निंदनीय भी है. वक्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में आदिवासियों के अधिकारों और ऐतिहासिक स्थलों की लगातार उपेक्षा की जा रही है. वर्तमान सरकार आदिवासी प्रतीकों, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में पूरी तरह विफल रही है. वहीं प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच कर दोषियों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस मुद्दे को हल्के में लेती है और दोषियों को बचाने की कोशिश की जाती है, तो वे आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर जनआंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे. कहा कि यह केवल भोगनाडीह की बात नहीं है, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है, जिसे वे किसी भी कीमत पर हारने नहीं देंगे. मौके पर किरण बेसरा, श्याम सोरेन, लालदेव मुर्मू, रंजीत मरांडी, शिवधन हेम्ब्रम आदि मौजूद थे.
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