समाजशास्त्र को सैद्धांतिक व व्यवहारिकता में विभक्त करना जरूरी : शिवजी मिहिजाम. जनजातीय संध्या डिग्री महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की ओर से आधुनिक भारतीय समाज में समाजशास्त्र के योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी की अध्यक्षता कॉलेज प्राचार्य प्रो कृष्ण मोहन साह ने की. बतौर मुख्य वक्ता डिग्री कॉलेज फतेहपुर समाजशास्त्र विषय के सहायक प्राध्यापक शिवजी ने कहा कि समाजशास्त्र के उद्भव तथा वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में हो रहे परिवर्तन को किस प्रकार सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सकता है. इसे समझने के लिए समाजशास्त्र को दो भागों में सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक में विभक्त करना जरूरी है. उन्होंने आधुनिक भारतीय समाज में समाजशास्त्र द्वारा समाज की संरचना, कार्य प्रणाली और विकास के क्षेत्र में हुए शोध पर प्रकाश डालते हुए वास्तविक स्थिति का वर्णन किया. मंच संचालन करते हुए सहायक प्राध्यापिका पूनम कुमारी ने इस विषय पर सबों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि यह गरीबी असमानता एवं भेदभाव जैसी सामाजिक मुद्दों को संरक्षित करने में सहायक हाेने के साथ ही सामाजिक दुनिया देखने और समझने का एक विशिष्ट ज्ञानवर्धक तरीका प्रदान करता है. समाजशास्त्र सामाजिक अनुसंधान की रीढ़ है. इस अवसर पर प्राचार्य ने अपना दृष्टिकोण रखते हुए सापेक्षिक वचनाें को किस प्रकार पाटा जा सकता है इस पर विशेष रूप से प्रकाश डाला. मौके पर आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ सोमेन सरकार, नैक कोऑर्डिनेटर डॉ राकेश रंजन, डॉ किरण वर्णवाल, प्रो शंभू सिंह, अरविंद सिन्हा, दिनेश किस्कू, रंजीत यादव, पुष्पा टोप्पो, संजय सिंह जयश्री, देवकी पंजियारा, शबनम खातुन, रेखा शर्मा, उपेंद्र पांडेय, राजकुमार मिस्त्री, दिनेश रजक, अभिजित सिंह खड़तोल, सोमा कुमारी आदि थे.
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