नारायणपुर. नारायणपुर पुलिस इन दोनों यातायात सुरक्षा को लेकर सख्त जरूर है, लेकिन यह आम लोगों के लिए थाने के पुलिस पदाधिकारी को यातायात सुरक्षा की चिंता नहीं है. हेलमेट का नियम सिर्फ अवैध वसूली के लिए है यह तो पुलिस कर्मियों के लिए छूट का विषय है. दोपहिया वाहन चालकों से हेलमेट की जांच तो होती है, लेकिन अगर बिना हेलमेट 10 पाए जाते हैं तो दो से ही जुर्माना वसूला जाता है. बाकी आठ की पैरबी और सेटिंग से ही काम चल जाता है. हालांकि हेलमेट का नियम सिर्फ आम जनता के लिए ही नहीं, बल्कि कानून के रक्षक कहे जाने वाले पुलिस वालों के लिए भी है, लेकिन यहां कानून के रख वाले ही कानून की धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं. ताजा उदाहरण यदि देखा जाए तो पुलिस बाइक चलाने वाले जनता को रोक कर चेतावनी के साथ आर्थिक दंड इसलिए लगाती है, क्योंकि वह हेलमेट नहीं पहने होते हैं. उन्हें यह चेतावनी दी जाती है कि हेलमेट आपको पहनना चाहिए. यदि आप पहन कर नहीं चलेंगे तो कभी भी दुर्घटना के शिकार हो जाएंगे. क्या यह कानून पुलिस वालों के लिए नहीं होनी चाहिए. सवाल तो लाजमी है, लेकिन इस शर्त को पुलिस वाले पूरा नहीं करते हैं. जब उनकी स्कूटी धड़ल्ले से सरपट हाईवे में चलती है तो उनके सिर पर हेलमेट नहीं बल्कि टोपी होती है. यह देखकर सड़क किनारे मौजूद ग्रामीण कहते हैं कि देखिए जामताड़ा की पुलिस यह सिर्फ वाहन चेकिंग के दौरान जनता को सलाह देती है, लेकिन अपने सुरक्षा पर ध्यान नहीं देती. इन्हें यातायात नियमों का ध्यान नहीं रहता है. यदि सड़क दुर्घटना होगी तो वह दुर्घटना ना तो जनता को पहचानती है और ना पुलिस को. दुर्घटना होती है वह वर्दी को भी नहीं पहचानेगी. ग्रामीणों ने कहा कि जामताड़ा पुलिस को पहले स्वयं कानून का पालन करना चाहिए, उसके बाद जनता को आगाह करना चाहिए. न की पुलिस नियमों को स्वयं धज्जियां उड़ाए और दूसरे के लिए नियम बनाएं.
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