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पबिया में चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ शुरू, उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

नारायणपुर. पबिया गांव में आयोजित चार दिवसीय चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया है.

नारायणपुर. पबिया गांव में आयोजित चार दिवसीय चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया है. शुक्रवार की प्रातः सात बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आह्वान, हवन तथा यज्ञ का शुभारंभ हुआ. इससे आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. बच्चे, युवा, महिला और बुजुर्ग श्रद्धा से शामिल हुए. गायत्री कथा में वक्ताओं ने भारतीय संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान तथा जीवन मूल्यों पर प्रकाश डाला. बताया कि गायत्री महायज्ञ न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, पर्यावरण शुद्धि और सामाजिक जागरुकता का माध्यम भी है. गायत्री मंत्र को ”संस्कृति की आत्मा” बताते हुए कहा कि यह मंत्र व्यक्ति के विचार, व्यवहार और चरित्र को उच्च बनाता है. वक्ताओं ने आधुनिक समय में संस्कृति और सभ्यता के क्षरण पर चिंता जताते हुए युवाओं से भारतीय परंपराओं को अपनाने की अपील की. उन्होंने समझाया कि संस्कृति केवल पहनावे या रीति-रिवाज नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन जीने के तरीके, विचारों की शुद्धता और व्यवहार की मर्यादा निहित है. कार्यक्रम में संगीत, भजन-कीर्तन और योगाभ्यास की भी व्यवस्था है, जिससे लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ-साथ मानसिक शांति का अनुभव हो रहा है. आयोजन समिति ने बताया कि महायज्ञ का समापन रविवार को पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ होगा. प्रवचनकर्ता टोली नायक श्रीनिवास तिवारी ने बताया कि यज्ञ से तीन प्रसाद प्राप्त होते हैं. पहला वो जो कि मानव के अंदर हम का अहंकार रहता है उसे त्यागना ही पहला प्रसाद है. यज्ञ के भस्म की रूपी मानव को भी एक दिन अपने मानव शरीर को त्यागना पड़ेगा. इसलिए अपने जीवन को सदुपयोग एवं सत्कर्म में लगाना चाहिए.

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