कुंडहित. स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत तैयार की गयी ठोस एवं तरल अपशिष्ट कचरा प्रबंधन की महत्वाकांक्षी योजना क्रियाशील नहीं हो पा रही है. जानकारी के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत सिंगल यूज पॉलिथीन से हो रहे पर्यावरण को गंभीर नुकसान से बचाने के लिए पंचायत स्तर पर लाखों खर्च कर पृथक्करण शेड बनाए गए हैं. साथ ही घरों और सार्वजनिक स्थानों से निकलने वाले कचरे को संग्रहित कर शेड तक लाने ले जाने के लिए ट्राई साइकिल भी उपलब्ध कराया गया है. हालांकि ट्राई साइकिल चलाकर गांव से कचरा एकत्रित कर शेड तक लाने ले जाने के कार्य के लिए कर्मी के अभाव में योजना क्रियाशील नहीं हो पा रही है. मिशन के तहत बनायी गयी योजना के अनुसार लोग अपने घरों में जमा होने वाले ठोस और तरल कचरा को अलग-अलग संग्रहित करेंगे. घरों से संग्रहित कचरों को ट्राई साइकिल के माध्यम से पृथक्करण शेड तक लाया जाएगा. जहां इनकी छटनी की जाएगी. छटनी के उपरांत पंचायत में एकत्रित कचरे को प्रखंड मुख्यालय में बनाए गए अपशिष्ट कचरा प्रबंधन यूनिट में पहुंचाया जाएगा. यहां मशीन की सहायता से प्लास्टिक के कचरों को बुरादे में तब्दील किया जाएगा. इस बुरादे को सड़क निर्माण सहित विभिन्न कार्यों से जुड़ी कंपनियों को बेचे जाने की योजना है. इससे पंचायत को एक अतिरिक्त आय भी होनी सुनिश्चित होगी. मिशन द्वारा प्रखंड में प्रबंधन इकाई स्थापित कर दी गयी है, हालांकि बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण अभी तक प्लास्टिक का बुरादा तैयार करने वाली मशीन अधिष्ठापित नहीं की गयी है. जानकारी के अनुसार प्रखंड के 15 पंचायत में से 13 पंचायतों में पृथक्करण शेड बना दिया गया है और ट्राई साइकिल भी मुहैया करा दिया गया है, लेकिन कर्मी के अभाव में योजना क्रियाशील नहीं हो पा रही है. लोगों का कहना है कि प्लास्टिक का बढ़ता कचरा पर्यावरण को गंभीर चुनौती दे रहा है. ऐसे में इस महत्वाकांक्षी योजना में हो रही देरी से दिनों-दिन नुकसान बढ़ता जा रहा है. दूसरी ओर पर्याप्त फंड के अभाव में लगभग स्थापित हो चुकी यह इकाई क्रियाशील नहीं हो पा रही है.
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