——-प्रभात खास——- राज्य मुख्यालय से स्वीकृति मिलने पर झारखंड में पहली बार हाथी को ट्रेंकुलाइजर से बेहोश कर किया जायेगा बाहर कोडरमा के अलग-अलग इलाकों में दो माह में हाथियों ने ली है पांच लोगों की जान विकास, कोडरमा जिले में इन दिनों जंगली हाथी ने आतंक मचा रखा है. खासकर झुंड से बिछड़ा एक हाथी गांवों के आसपास न सिर्फ किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहा है, बल्कि आबादी वाले इलाकों में प्रवेश कर लोगों की जान तक ले रहा है. दो माह के अंदर हाथी ने जिले में पांच लोगों को कुचल कर मार डाला है. ऐसे में अब इस हाथी को आबादी वाले क्षेत्र से बाहर करने के लिए वन विभाग ने ठोस उपाय निकालने का प्रयास किया है. वन प्रमंडल कोडरमा ने लोगों की जान ले रहे हाथी को ट्रेंकुलाइजर पद्धति (बेहोश कर) से इलाके से बाहर करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर राज्य मुख्यालय को भेजा गया है. अगर मुख्यालय स्तर से हाथी को बेहोश कर रिजर्व क्षेत्र या अन्य जगह पर छोड़ने की स्वीकृति मिलती है तो यह झारखंड में इस तरह का पहला प्रयोग होगा. अब तक वन विभाग आबादी वाले इलाकों में पहुंचने वाले हाथियों को एक्सपर्ट टीम का सहयोग लेकर पटाखा फोड़ या मशाल जला दूसरे जगह भेजने का काम करती रही है, लेकिन कोडरमा में हाल के दिनों खासकर गत दो माह में हुई घटनाओं के बाद विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है. जानकारी के अनुसार कोडरमा जिले में वैसे हर वर्ष मार्च माह के आसपास हाथियों का झुंड आता रहा है और एक निश्चित समय अंतराल के बाद ये आसपास के जिलों में चले जाते थे, पर इस वर्ष यह पहली बार हुआ है जब हाथी लंबे समय तक कोडरमा के इलाके में ही टिके हैं. कोडरमा के मरकच्चो के पपलो जंगल क्षेत्र में 10 मार्च को पहली बार प्रवेश करने वाला हाथियों का झुंड तो 16 अप्रैल को जिले के इलाके से निकला चुका है, पर दूसरे किसी अन्य झुंड से बिछड़े हाथी लगातार आतंक मचा रहे हैं. पूर्व में आये हाथियों के झुंड ने फसलों को नुकसान जरूर पहुंचाया था, पर जान का नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन 16 अप्रैल के बाद झुंड से बिछड़ा हाथी अब तक पांच लोगों की जान ले चुका है. लगातार हो रहे जान के नुकसान व लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए वन विभाग ने पूरी रिपोर्ट राज्य मुख्यालय को भेजी है. इसमें पिछले दो माह के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए वर्तमान वस्तु स्थिति को रखा गया है. साथ ही हाथियों को भगाने के लिए पश्चिम बंगाल की बांकुडा की टीम का लगातार सहयोग लिए जाने की बात भी बतायी गयी है. बांकुडा की टीम भी बिछड़े हाथी को कोडरमा से बाहर करने में पूरी तरह सफल नहीं हो रही. ऐसे में विभाग ने मुख्यालय को हाथी को पूरी प्रक्रिया के तहत बेहोश कर रिजर्व क्षेत्र में छोड़े जाने का प्रस्ताव भेजा है. बंगाल के झारग्राम में हो चुका है ऐसा प्रयोग जान का नुकसान कर रहे हाथी को आबादी वाले क्षेत्र से पूरी तरह बाहर करने के लिए वन प्रमंडल कोडरमा द्वारा ट्रेंकुलाइजर पद्धति (बेहोश करने) का प्रस्ताव भले ही तैयार किया गया है और इसे स्वीकृति मिलने पर झारखंड में यह प्रयोग पहली बार होगा, पर इससे पहले इस तरह का प्रयोग पश्चिम बंगाल के झारग्राम में हो चुका है. यहां बहरागोड़ा इलाके में हाथी के आतंक को देखते हुए वन विभाग ने एक्सपर्ट टीम बुलाकर हाथी को ट्रेंकुलाइजर से बेहोश कर रिजर्व क्षेत्र में गत वर्ष छोड़ा है. इसी तरह का प्रयोग कर्नाटक में भी किया जा चुका है. अकेला हाथी ज्यादा खतरनाक जानकार लोगों की मानें तो झुंड में रहने वाले हाथी उतना नुकसान नहीं पहुंचाते. ये फसलों को जरूर नुकसान पहुंचाते हैं, पर ग्रुप में होने की वजह से अपना रास्ता बनाते हुए निकल जाते हैं, वहीं अकेला हाथी ज्यादा खतरनाक होता है. पिछले कुछ दिनों से मरकच्चो, जयनगर व डोमचांच क्षेत्र में कहीं एक तो कहीं दो हाथी देखे जा रहे हैं. गत दिन मरकच्चो के बेलाडीह में एक हाथी ने युवक को कुचलकर मार डाला था. इससे पहले जयनगर के सतडीहा में एक बुजुर्ग व सिमराटांड में दो महिलाओं को भी हाथी ने मार डाला था. भेजा जा चुका है अलग कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव इससे पहले वन प्रमंडल कोडरमा के द्वारा हाथी वन क्षेत्र में ही रहें इसके लिए एक अलग कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. अलग कॉरिडोर बनने से हाथी जंगलों में सुरक्षित रहेंगे और उनके विचरण से लोगों को नुकसान भी नहीं होगा. कोडरमा में हाथियों के आतंक के कारण -जंगलों में रहने वाले हाथी भोजन की कमी के कारण गांवों में आ रहे हैं. -हाथियों के स्वभाव में बदलाव आ रहा है, जिससे वे अधिक आक्रामक हो रहे हैं. -झारखंड में हाथियों के लिए कोई अधिसूचित कॉरिडोर नहीं है, जिससे उनके आवागमन में परेशानी हो रही है. हाथियों के हमले से बचाव के हो रहे ये उपाय -वन विभाग द्वारा हाथियों के झुंड की निगरानी की जा रही है. -ग्रामीणों को हाथियों के हमले से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा है. -हाथियों को कोडरमा के क्षेत्र से बाहर करने के लिए बंगाल के बांकुडा की एक्सपर्ट टीम काम कर रही है. हाथी के हमले से बचाव के उपाय -सुरक्षित दूरी बनाये रखें : हाथियों से कम से कम 100 मीटर की दूरी बनाये रखें. -हाथी के व्यवहार को समझें : हाथी के व्यवहार को समझने की कोशिश करें और उनके हमले के संकेतों को पहचानें. -शोर न करें : हाथियों के पास शोर न करें, क्योंकि इससे वे उत्तेजित हो सकते हैं. -धीरे-धीरे पीछे हटें : यदि हाथी आपके पास आ रहा है, तो धीरे-धीरे पीछे हटें और उसकी आंखों में न देखें. -सुरक्षित स्थान पर जायें : यदि हाथी हमला कर रहा है, तो सुरक्षित स्थान पर जाने की कोशिश करें, जैसे कि वाहन या घर में. हाथी के हमले के संकेत -कान फैलाना : हाथी अपने कान फैलाकर हमले की तैयारी करता है. -सूंड़ उठाना : हाथी अपनी सूंड उठाकर हमले का संकेत देता है. -गर्जना : हाथी की गर्जना हमले का संकेत हो सकता है. —————————- वन विभाग हाथियों को कोडरमा के इलाके से बाहर करने के लिए पूरी तरह प्रयासरत है. गत एक माह से बांकुड़ा की एक्सपर्ट टीम हाथी को बाहर करने का प्रयास कर रही है, पर हाथी एक दिन में तीन-तीन जगह दिख रहे हैं. हाथी ने जान का नुकसान भी किया है. ऐसे में स्थिति को देखते हुए राज्य मुख्यालय को पूरी रिपोर्ट भेजी गयी है. इसमें ट्रेंकुलाइजर से बेहोश कर हाथी को रिजर्व क्षेत्र में छोड़ने का भी प्रस्ताव है. इस पर निर्णय मुख्यालय स्तर से लिया जाना है. आम लोगों से भी अपील है कि हाथी दिखे तो उसके पास न जायें और खुद को सुरक्षित रखें. ————सौमित्र शुक्ला, वन प्रमंडल पदाधिकारी कोडरमा
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