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लेमनग्रास को उम्मीदों की फसल मानकर किसानों ने की खेती लेकिन नहीं मिल रहे हैं दाम

लेमनग्रास की बढ़ती मांग को देखते हुए पाकुड़िया प्रखंड के 400 प्रगतिशील किसानों ने इसकी खेती की है. तेल निकालने वाली मशीन उपलब्ध नहीं होने के चलते सुखाकर बेचना पड़ रहा है लेमनग्रास, हो रहा घाटा.

पाकुड़. बदलती जीवन शैली के कारण लेमनग्रास की मांग दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए लेमनग्रास का इस्तेमाल चाय के रूप में कर रहे हैं. हालांकि लोग चाय के साथ-साथ सूप और फ्राई व्यंजनों में भी मिलाकर खा रहे हैं. लेमनग्रास से पाचन क्रिया तेज करने में मदद मिल सकती है. लेमनग्रास में थर्मोजेनिक गुण होते हैं, जिसका मतलब कि यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और शरीर से फैट बर्न करने में मदद कर सकता है. खाली पेट लेमनग्रास पानी पीने से वेट लॉस में फायदा होता है. यही कारण है कि दिनोंदिन इसकी मांग बढ़ती जा रही है. लेमनग्रास से तेल निकाला जाता है, जिसकी बाजार में कीमत 1200 से 1300 रुपये लीटर है. लेमनग्रास की बढ़ती मांग को देखते हुए पाकुड़िया प्रखंड के 400 प्रगतिशील किसानों ने इसकी खेती की है. प्रखंड के 18 पंचायतों की 65 एकड़ जमीन पर इसकी खेती हो रही है. हालांकि जिस उम्मीद से किसानों ने लेमनग्रास की खेती शुरू की थी, वैसा फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि किसानों के पास लेमनग्रास से तेल निकालने वाली मशीन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्हें लेमनग्रास सुखाकर बेचना पड़ रहा है, जिसका मूल्य किसानों को कम मिल पा रहा है. प्रखंड के 100 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी लेमनग्रास का तेल निकालने वाला आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मशीन उपलब्ध नहीं है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. लेमनग्रास से तेल निकालने वाली मशीन नहीं होने के कारण कुछ किसानों ने लेमनग्रास की फसल को उखाड़ दिया या काट कर फेंक दे रहे हैं. उसके बावजूद लगभग 40 एकड़ जमीन पर लेमनग्रास की खेती किसानों द्वारा इस उम्मीद में रखी गयी है कि कभी न कभी तो लेमनग्रास का तेल निकालने वाला प्लांट क्षेत्र में लगेगा, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा. सरकार के प्रयास से अगर प्रखंड में लेमनग्रास का तेल निकालने वाली मशीन होती, तो प्रखंड में लेमनग्रास की खेती करने वाले किसानों की संख्या में और वृद्धि होगी. ज्ञात हो कि लेमनग्रास की खेती करना बहुत ही आसान और किफायती है. इसमें पानी की खपत भी बहुत ही कम होती है. लेमनग्रास की खेती में खाद का प्रयोग बहुत ही कम होता है और यदि जरूरत पड़ती है तो किसान जैविक खाद का प्रयोग कर आसानी से इसकी खेती कर सकते हैं. बड़ी-बड़ी कंपनियां कई प्रकार के बहुउपयोगी तेल, साबुन और कॉस्मेटिक के प्रयोग में लेमनग्रास का इस्तेमाल करते हैं. यहीं नहीं लेमनग्रास का पत्ता प्रतिदिन चाय में मिलाकर भी पिया जाता है. इसकी सुगंध और स्वाद भी बहुत अच्छा है. साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल, शुगर, थायराइड जैसी बीमारी में भी बहुत फायदेमंद होता है. लेमनग्रास को साल में तीन से चार बार काटा जा सकता है.

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