पाकुड़. हूल दिवस के मौके पर शिक्षण संस्थानों ने सिदो-कान्हू के बलिदान को याद किया. मॉडल कॉलेज, पाकुड़ में कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. विश्वनाथ साह ने की, जिन्होंने संथाल हूल को 1857 की क्रांति की नींव बताया. कार्यक्रम में वक्ताओं ने हूल विद्रोह को आदिवासी अस्मिता, संघर्ष और पहचान की क्रांति कहा. महिला महाविद्यालय, पाकुड़ में प्रभारी प्राचार्या डॉ. सुशीला हांसदा ने हूल आंदोलन को राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की राह बताया और विद्यार्थियों को सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो के आदर्शों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया. आजसू पार्टी के जिला अध्यक्ष आलमगीर आलम ने सिद्धो-कान्हू पार्क में प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी.
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