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Jharkhand News: झारखंड में फाइलेरिया के खिलाफ बड़ी जीत, 2024 की तुलना में 65% कम हुए मरीज

Jharkhand News: झारखंड में साल 2024 की तुलना में फाइलेरिया के मरीजों में 65% की कमी आयी है. राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में मास ड्रग अभियान चलाने पर यह सफलता मिली है. मालूम हो कि फरवरी से पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर फाइलेरिया की दवा खिलाने की मुहिम चलायी गयी थी.

Jharkhand News | रांची, बिपिन सिंह: झारखंड में फाइलेरिया के रोगियों की संख्या में भारी गिरावट सामने आयी है. विभाग के मुताबिक, ये आंकड़े मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) चलाने के बाद सामने आये हैं. इस अभियान के तहत प्रभावित क्षेत्रों में सभी व्यक्तियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलायी जाती हैं, भले ही उनमें लक्षण हो या न हो.

2024 की तुलना में 65% कम हुई मरीजों की संख्या

जानकारी के अनुसार, आंकड़ों में फाइलेरिया (हाथीपांव) के रोगियों की संख्या में कमी देखी गयी है. झारखंड में यह गिरावट 65% तक आयी है. गांव और शहरों में मास ड्रग अभियान चलाने के बाद साल 2025 में अभी तक फाइलेरिया के 268 रोगी पाये गये हैं. जबकि साल 2024 में जून माह तक फाइलेरिया के 776 रोगी पाये गये थे. इस तरह देखा जाये तो इसमें 65 प्रतिशत की कमी आयी है.

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फरवरी से चलाया जा रहा अभियान

मालूम हो कि राज्य भर में 10 फरवरी से बड़े पैमाने पर दवा खिलाने का अभियान चलाया गया. इस कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने वर्चुअल माध्यम से किया था. इसमें 1.85 करोड़ लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने की दवा खिलायी गयी. इसके लिये 14 जिलों के 91 प्रखंडों में स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी मौजूदगी में दवा का सेवन कराया था.

झारखंड के 14 जिलों में फाइलेरिया के रोगी

फिलहाल, झारखंड के 14 जिलों में फाइलेरिया के रोगी मौजूद हैं. इनमें 11 जिलों रांची, पूर्वी सिंहभूम बोकारो, देवघर, धनबाद, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, लोहरदगा, रामगढ़ और साहिबगंज में दो दवाएं डीइसी और अल्वेंडाजोल जबकि तीन जिलों सिमडेगा, पाकुड़ और कोडरमा में तीन दवाएं डीइसी, अल्वेंडाजोल और आइवरमेक्टिन दवा का सेवन कराया गया था.

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किस तरह की बीमारी है फाइलेरिया

बता दें कि फाइलेरिया गोल या धागे जैसे परजीवी कृमियों के कारण होता है. यह रोग नेमाटोड कृमि या तो दुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी या बुगिया मलेई के कारण होता है. यह बीमारी मुख्यतः मच्छर प्रजातियों से फैलती है. यह रोग अक्सर पैरों या निजी अंगों में अजीबोगरीब सूजन के रूप में प्रकट होता है. इसके लिये साल में एक बार दवा का सेवन कराया जाता है.

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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