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मर्यादा का पालन कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है प्राणी

श्रीरामकथा के चतुर्थ दिन प्रभु की बाल लीला, मातृ-पितृ भक्ति, विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण का वन गमन, ताड़का व सुबाहु का वध, अहिल्या उद्धार, गंगा की महिमा, जनकपुर भ्रमण, सीता स्वयंवर का वर्णन किया गया

अनगड़ा.

जोन्हा श्रीराम मंदिर में आयोजित श्रीरामकथा के चतुर्थ दिन प्रभु की बाल लीला, मातृ-पितृ भक्ति, विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण का वन गमन, ताड़का व सुबाहु का वध, अहिल्या उद्धार, गंगा की महिमा, जनकपुर भ्रमण, सीता स्वयंवर का वर्णन किया गया. कथावाचिका सुश्री शैलप्रिया ने कहा कि श्रीहरि जब पृथ्वी पर बाल रूप में अवतरित हुए तो वे साधारण बालक थे. लेकिन बाद में अपने कर्मों और मर्यादा के पालन से मर्यादा पुरुषोत्तम बने. श्रीराम ने हमेशा मर्यादा का पालन किया, चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर हो या राज्याभिषेक के बाद. इस मृत्युलोक में जन्म लेनेवाला प्रत्येक प्राणी किसी भी परिस्थिति में मर्यादा का पालन करते हुए मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है. श्रीराम ने इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है. राम नाम जीवन का आधार है. पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने भी कथा अमृत का आनंद लिया. मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष संतोष साहू, बलराम साहू, प्रदीप साहू, सीताराम साहू, मधुसूदन साहू, विनोद मिश्रा, कृष्णा साहू, किशोर साहू, विकास साहू, अजय मंडल, चंद्रभूषण भुईयां, पंकज गुप्ता, परमेश्वर साहू, राजीव साहू, महिपाल पातर, उदय साहू, विनय साहू, श्रीराम साहू, सारा, सुरभि, मुस्कान आदि उपस्थित थे.

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