मिस्सा के दौरान गाए जानेवाले गीत और संगीत के महत्व पर हुई बैठक
रांची. कैथोलिक कलीसिया में आराधना के दौरान गीत और संगीत कैसा हो इसे लेकर रविवार को संत जोसेफ सभागार में बैठक हुई. रांची महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप विसेंट आईंद के आह्वान पर बैठक में चर्च के पुरोहित, ब्रदर, सिस्टर्स, कैथोलिक सभा के पदाधिकारी और धार्मिक संगीत से जुड़े कोयर दल के लोग उपस्थित थे. आर्चबिशप विसेंट आईंद ने कहा कि यहां के विश्वासी काफी समझदार और जानकार हैं. फिर भी आराधना के दौरान गीतों व संगीत को लेकर जागरूकता आवश्यक है ताकि त्रुटियों से बचा जा सके. आर्चबिशप ने कहा कि मिस्सा के दौरान हमारा गायन और संगीत ऐसा हो जो भक्ति के भाव को और बढ़ाये. इन्हें सुनकर याचना की भावना होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि धर्मविधि के दौरान गाये जाने वाले गीत और संगीत व स्टेज के संगीत में स्पष्ट रूप से फर्क होना चाहिए. स्टेज कार्यक्रमों में जितने वाद्ययंत्रों की जरूरत होती है वह सब धर्मविधि के दौरान भी इस्तेमाल हो यह जरूरी नहीं है. गीतों के बोल की जरूरत है इसके लिए सबसे अच्छा स्रोत बाइबल है. कोयर मंडली के सदस्यों को चाहिए कि वह धर्मविधि के दौरान कलीसिया के सेवक की तरह शामिल हो. न कि परफॉर्मर की तरह. वे सेवा के भाव से पूरी धर्मविधि में शामिल हो.इससे पूर्व कार्यक्रम की प्रस्तावना को रखते हुए फादर अंजुलस ने कहा कि आज की परिस्थिति में मिस्सा बलिदान में संगीत का महत्व है. यह हमारे ख्रीस्तीय जीवन का अहम अंग है. हम एक साथ ईश्वर की आराधना करते हैं. पर कई बार शायद भाव से दूर चले जाते हैं. हम कैसे धर्मविधि को और भक्तिपूर्ण बना सकते हैं. इस पर मनन करना होगा. कार्यक्रम में विकर जनरल और संत मरिया महागिरजाघर के पल्ली पुरोहित फादर आनंद डेविड, फादर जस्टिन सहित अन्य पुरोहित उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन सिस्टर ललिता ने किया.
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