रांची. राज्य सरकार के महत्वपूर्ण डाटा की सुरक्षा को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग ने पहल शुरू की है. भूमि डाटा, परिवहन डाटा, पीडीएस डाटा सहित अन्य महत्वपूर्ण राजकोष डाटा को पूरी तरह सुरक्षित रखना है और आपदा के दौरान इसके बैकअप की पूरी व्यवस्था करनी है. इसे लेकर विभाग ने भौतिक आपदा रिकवरी केंद्र स्थापित करने की योजना तैयार की है. केंद्र बनाने के लिए इसका डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराया जायेगा. इसके लिए 35 लाख रुपये खर्च होंगे. डीपीआर तैयार होने के बाद केंद्र स्थापित करने की दिशा में आगे की कार्रवाई की जायेगी. जानकारी के मुताबिक सरकार के विभिन्न विभागों के सभी सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, वेबसाइट को होस्ट करने के लिए झारखंड स्टेट डाटा सेंटर 15 नवंबर 2016 से काम कर रहा है. करीब 380 टीबी स्टोरेज डाटा के साथ लगभग 186 एप्लिकेशन और वेबसाइट को अब तक इस सेंटर पर होस्ट (वेबसाइट की फाइलों को सर्वर में रखना) किया जा चुका है. इस डाटा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण विभागों के राजकोष से संबंधित डाटा हैं. विभाग का यह मानना है कि आपदा के दौरान इसके रिकवरी की संभावना बहुत कम है. ऐसी स्थिति राज्य में पूरी तरह से अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है, इसलिए डाटा सेंटर सेवाओं के सुचारू, सुरक्षित, विश्वसनीय व उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है. इसके लिए डिजास्टर रिकवरी कम बिजनेस कंटिन्यूटी सेंटर की जरूरत है. इस स्थिति में डाटा की सुरक्षा को ध्यान में रख कर सरकार फिजिकल डिजास्टर रिकवरी सेंटर की स्थापना करना चाहती है. इसका डीपीआर तैयार करने के लिए सीनियर कंसल्टेंट (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट), सीनियर कंस्टलेंट (टेक्नोलॉजी) व कंसल्टेंट (डाटा सेंटर) की जरूरत है. चालू वित्तीय वर्ष में ही डीपीआर तैयार करने के लिए राशि की प्रशासनिक स्वीकृति दे दी गयी है.
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