रांची, अजय दयाल-बहुचर्चित अलकतरा घोटाले में 28 साल बाद सीबीआई की अदालत का फैसला आया है. बिहार के पूर्व मंत्री इलियास हुसैन समेत पांच दोषियों को अदालत ने तीन-तीन साल की सजा सुनायी है. इन सभी पर 32-32 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. ये मामला 1997 का है. कागज पर ही अलकतरे की सप्लाई कर दी गयी थी और पैसे की निकासी कर ली गयी थी. इसके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया था. लंबी सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया.
सात आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में किया गया बरी
सीबीआई की अदालत से सजा पानेवाले दोषियों में इलियास हुसैन, शहाबुदीन बेक, पवन कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल और विनय कुमार सिन्हा शामिल हैं. सीबीआई की अदालत ने इन्हें दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा शनिवार को सुनायी. सात आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया. बरी होने वालों में जी रामनाथ, एसपी माथुर, तरुण कुमार गांगुली, रंजन प्रधान, शोभा सिन्हा, केदार पासवान और एमसी अग्रवाल शामिल हैं.
कागज पर हुई थी 510 मीट्रिक टन अलकतरे की सप्लाई
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने शनिवार को अलकतरा घोटाले में फैसला सुनाया. सीबीआई की ओर से लोक अभियोजक खुशबू जायसवाल ने बहस की. अलकतरा घोटाले का मामला 1997 का है. 27.70 लाख का अलकतरा घोटाला हुआ था. 510 मीट्रिक टन अलकतरे की सप्लाई रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट (हजारीबाग) को करनी थी, लेकिन सप्लाई नहीं की गयी थी. दस्तावेज में सप्लाई दिखाया गया था. इसके लिए पवन करियर नामक कंपनी से सप्लाई का फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया था.
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