रांची. नगर विकास एवं आवास विभाग केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 (पीएमएवाययू-2.0) को राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में लागू करने की स्वीकृति देने जा रहा है. इससे संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है. यह मिशन 2029 तक सभी पात्र शहरी परिवारों को आवास उपलब्ध कराने की भारत सरकार की परिकल्पना को आगे ले जाने के लिए है. इस मिशन की निर्धारित अवधि वर्ष 2024 से 2029 तक है. गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष में 50 हजार लोगों को आवास देने का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2029 तक सभी शहरी बेघरों को आवास देने की योजना है.
ये परिवार होंगे पात्र
इस योजना के तहत, शहरी स्थानीय निकाय में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्ल्यूएस), निम्न आय वर्ग (एलआइजी) और मध्यम आय वर्ग एमआइजी श्रेणी के परिवार पात्र होंगे, जिनके पास देश में कहीं भी अपने या उनके परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर कोई पक्का घर नहीं है. इडब्ल्यूएस परिवार के लिए वार्षिक आय तीन लाख, एलआइजी के लिए तीन से छह लाख तथा एमआइजी परिवार के लिए छह से नौ लाख तक की वार्षिक आय की सीमा रखी गयी है. योजना में विधवाओं, एकल महिलाओं, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और समाज के अन्य कमजोर एवं वंचित वर्गों के व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जायेगी. विशेष रूप से सफाईकर्मियों, पीएम स्वनिधि योजना के तहत चिन्हित स्ट्रीट वेंडरों, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत विभिन्न कारीगरों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों, झुग्गी/चॉल के निवासियों पर भी ध्यान दिया जायेगा.
आवेदन प्रक्रिया और सत्यापन
शहरी क्षेत्र के लाभार्थियों के चयन के लिए जिला मजिस्ट्रेट/नगर आयुक्त/कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में एक जिला शहरी स्थानीय निकाय स्तर की समिति गठित की जायेगी. यह समिति मांग सर्वेक्षण के माध्यम से आवेदन प्राप्त करेगी और वास्तविक मांग का त्वरित मूल्यांकन करेगी. लाभार्थी सभी विवरणों के साथ योजना के एकीकृत वेब पोर्टल पर अपने आवास के लिए पंजीकरण कर सकते हैं. राज्य के स्थानीय निकायों द्वारा लाभार्थियों को योजना दिशा-निर्देशों के पात्रता मानदंडों के अनुसार सत्यापित किया जायेगा.लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास निर्माण (बीएलसी) घटक
बीएलसी घटक के तहत, पात्र परिवारों को अपनी उपलब्ध भूमि पर नया पक्का आवास बनाने के लिए शहरी स्थानीय निकाय में भूमि के स्वामित्व प्रमाण सहित आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन जमा करना होगा. भूमिहीन लाभार्थियों के लिए राज्य सरकार अपने व्यय पर परिवार के उत्तराधिकारी को गैर-हस्तांतरणीय भूमि अधिकार (पट्टा) प्रदान कर सकती है, जिससे उन्हें बीएलसी घटक के तहत पात्र लाभार्थी बनाया जा सकता है. इस घटक के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1.50 लाख रुपये प्रति आवास का अनुदान निर्धारित किया गया है, और राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम एक लाख प्रति लाभुक की सहायता निर्धारित की गयी है. योजना के क्रियान्वयन हेतु केंद्रांश और राज्यांश की राशि लाभार्थियों को कुल चार किस्तों में (20%, 30%, 40% और 10%) देय होगी. इन किस्तों का भुगतान भौतिक सत्यापन, जियो टैगिंग और आवास निर्माण के फोटोग्राफ के समेकित करने के पश्चात किया जायेगा. बीएलसी हेतु प्रति आवास का लेआउट/बिल्ड-अप एरिया कुल 35.4 वर्गमीटर और कारपेट एरिया 30 वर्गमीटर के आधार पर तैयार किया गया है. एक आवास की कुल प्राक्कलित राशि 4,44,700 रुपये प्रस्तावित है. केंद्रांश और राज्यांश राशि के बाद कुल योजना लागत की शेष राशि लाभुक अंशदान होगा. बीएलसी के तहत सभी आवासों को भारत सरकार द्वारा स्वीकृति की तारीख से 12-18 महीने के अंदर पूरा करना होगा.भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी)
इस घटक के लिए केंद्रांश राशि 1.50 लाख रुपये प्रति आवास और राज्यांश सहायता एक लाख रुपये प्रति लाभुक निर्धारित की गयी है. नगर निकाय की भूमि में अवस्थित स्लम वासियों का पुनर्विकास इस घटक के तहत किया जायेगा.किफायती किराये के मकान (एआरएच)
इस हेतु टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट के रूप में केंद्रांश राशि 3000/वर्ग मीटर/प्रति यूनिट और राज्यांश राशि 2000/वर्ग मीटर/यूनिट निर्धारित की गयी है. यह घटक शहरी प्रवासियों, बेघरों, निराश्रितों, औद्योगिक श्रमिकों, कामकाजी महिलाओं, निर्माण श्रमिकों, शहरी गरीबों, और अन्य लाभार्थियों के लिए पर्याप्त किराये के आवासों के निर्माण को बढ़ावा देगा.ऋण से जुड़ी ब्याज अनुदान (आइएसएस)
इसमें सभी श्रेणी के परिवार पात्र होंगे, और लाभार्थियों को सब्सिडी पांच बराबर वार्षिक किस्तों में जारी की जायेगी. इस घटक पर राज्यांश सहायता शून्य होगी.निगरानी और समन्वय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी कमेटीयोजना के तहत निर्मित आवासों की प्रगति को जियो टैगिंग एवं अन्य डिजिटल मानदंडों के माध्यम से ट्रैक किया जायेगा. प्रशासनिक और वित्तीय मामलों पर सभी आवश्यक अनुमोदन आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के स्तर पर गठित केंद्रीय स्वीकृति एवं अनुश्रवण समिति (सीएसएमसी) द्वारा किया जायेगा. राज्य स्तर पर, मुख्य सचिव, झारखंड सरकार की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय स्वीकृति एवं अनुश्रवण समिति (एसएलएमसीसी) कार्य योजना एवं परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए जिम्मेदार होगी. नगरीय प्रशासन निदेशालय को राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य किया जायेगा.
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