Birsa Munda 125th Death Anniversary : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बिरसा मुंडा के साथ दशकों तक इतिहासकारों ने इंसाफ नहीं किया. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के वीर योद्धा की गौरव गाथा को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं मिल पायी. लेकिन, बिरसा मुंडा का औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आंदोलन इतना धारदार और असरदार था कि यह बाद में इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए कौतूहल का विषय बना.
उनके संघर्ष और उनके बलिदान ने हर लेखक को बेचैन किया. धरती आबा के नायकत्व को दुनिया ने जाना-पहचाना. 9 जून को बिरसा मुंडा के 125वें शहादत दिवस पर ‘प्रभात खबर’ धरती आबा के बलिदान और संघर्षों से जुड़ी कड़ियां छाप रहा है. इस कड़ी में विभिन्न इतिहासकारों ने बिरसा मुंडा को कैसे समझा इसका किस्सा बता रहे हैं.
1. धार्मिक सुधारक थे धरती आबा- आलोक चक्रवर्ती
प्रसिद्ध इतिहासकार आलोक चक्रवर्ती के अनुसार, बिरसा मुंडा केवल एक आंदोलनकारी नहीं, बल्कि एक धार्मिक सुधारक भी थे. उन्होंने आदिवासी धर्म और परंपराओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया. चक्रवर्ती का मानना है कि बिरसा का उद्देश्य अपने समुदाय को बाहरी प्रभावों से बचाना था. उन्होंने अपनी पुस्तक ‘बिरसा मुंडा-जनजातीय नायक’ में विस्तार से भगवान बिरसा मुंडा के पूरे संघर्ष और शहादत को बताया है.
झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
2. सबऑल्टर्न आंदोलन के नायक बिरसा मुंडा- रणजीत गुहा
प्रमुख इतिहासकार रणजीत गुहा ने बिरसा मुंडा को सबऑल्टर्न आंदोलन के नायक के रूप में बताया है. सबऑल्टर्न स्टडीज ऐसा ऐतिहासिक दृष्टिकोण है, जो उत्पीड़ित और दबाये गये समूहों (जैसे किसान, मजदूर, आदि) की आवाज को इतिहास में शामिल करने का प्रयास करता है. इसी धारा के इतिहासकार हैं, रणजीत गुहा. उन्होंने बिरसा को उनलोगों की आवाज बताया, जिन्हें इतिहास में अक्सर भुला दिया गया.
3. डॉ राम दयाल मुंडा की नजर में बिरसा मुंडा
प्रसिद्ध विचारक व शिक्षाविद पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा ने अपनी पुस्तक आदि ‘धरम’ में बिरसा के नायकत्व को उकेरा है. इस किताब में आदिवासियों के धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की चर्चा है. डॉ मुंडा लिखते हैं- बिरसा ने आदिवासियों को बताया कि वे खुद अपने ईश्वर, अपने धर्म, और अपने शासन के रचयिता हो सकते हैं. उन्होंने बिरसा मुंडा को सिर्फ एक ऐतिहासिक योद्धा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और दार्शनिक नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया.
इसे भी पढ़ें बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के लिए देखे थे ये 5 सपने, आज भी हैं अधूरे
4. क्या कहते हैं साहित्यकार रणेंद्र
बिरसा मुंडा की असाधारण गाथा को देशभर में पहचान दिलाने में दो प्रमुख हस्तियों, कुमार सुरेश सिंह और महाश्वेता देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. 1960 के दशक में आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत कुमार सुरेश सिंह की पोस्टिंग झारखंड में हुई, जहां उन्होंने बिरसाइत परंपरा और गीतों के माध्यम से ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा के बारे में जाना. उन्होंने पहले मुंडारी भाषा सीखी और फिर इन लोकगीतों का अनुवाद किया. 1966 में उनकी प्रसिद्ध किताब ‘द डस्ट स्टॉर्म एंड हंगिंग मिस्ट (हिंदी में- धूल की आंधी और फैला हुआ धुंधलका)’ प्रकाशित हुई. इसमें उन गीतों का उल्लेख है, जिनमें बिरसा मुंडा को लेकर गहरी संवेदनाएं हैं.
देश ने जाना कौन थे भगवान बिरसा मुंडा
यही वह समय था, जब देश ने जाना कि भगवान बिरसा मुंडा कौन थे और उन्होंने आदिवासी समाज के लिए कितना बड़ा योगदान दिया. 1967 में राउरकेला में आदिवासियों ने बिरसा मुंडा का मंदिर बनवाने के लिए आंदोलन छेड़ा, जिसमें गोलीबारी जैसी घटनाएं भी हुईं. इस संघर्ष के बाद बिरसा मुंडा की मूर्ति स्थापित की गयी. इसी बीच प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी ने रानी लक्ष्मीबाई पर लिखने के बाद बिरसा मुंडा पर कार्य करने का निर्णय लिया.
इसे भी पढ़ें भगवान बिरसा मुंडा की जिंदगी से हर किसी को सीखनी चाहिए ये 5 बातें
लोगों के दिल में बसे धरती आबा
महाश्वेता देवी ने एक फिल्म निर्देशक की सलाह पर कुमार सुरेश सिंह की किताबें पढ़ीं, फिर खुद खूंटी जाकर रिसर्च किया. इसके बाद उनका प्रसिद्ध उपन्यास ‘अरण्य अधिकार’ आया, जिसने बिरसा मुंडा को आमलोगों के दिल में बसा दिया. कुमार सुरेश सिंह और महाश्वेता देवी की रचनाओं के बाद एक प्रसिद्ध नाटक ‘धरती आबा’ भी आया, जिसने बिरसा मुंडा की छवि को और गहराई दी.
5. अमेरिकी इतिहासकार ने किया बिरसा मुंडा पर शोध
माइकल एडस एक अमेरिकी इतिहासकार और लेखक हैं. वे रटगर्स विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर एमेरिटस रहे, जहां उन्होंने इतिहास में अब्राहम ई वूरहीस चेयर का पद संभाला था. उन्होंने बिरसा मुंडा और मुंडा विद्रोह पर महत्वपूर्ण शोध किया है. उनके द्वारा बिरसा मुंडा पर किया गया कार्य भारतीय आदिवासी इतिहास लेखन में एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है.
इसे भी पढ़ें Birsa Tourist Circuit: पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होंगी भगवान बिरसा से जुड़ी ये जगहें
मसीहा के रूप में किया वर्णित
माइकल ने अपनी किताब में बिरसा मुंडा को एक मसीहा के रूप में वर्णित किया गया है, जो अपने समुदाय को ब्रिटिश शासन और मिशनरी प्रभाव से मुक्त कराने का सपना देखता है. एक ऐसा नेता, जिसने धार्मिक पुनर्जागरण, आदिवासी एकता, जमीन के अधिकार को एकजुट कर एक शक्तिशाली आंदोलन खड़ा किया.
इसे भी पढ़ें
झारखंड का वो गांव, जहां से अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा को किया गिरफ्तार
मेरा कहा कभी नहीं मरेगा, उलगुलान! उलगुलान!! पढ़ें, भगवान बिरसा मुंडा के क्रांतिकारी विचार