23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के लिए देखे थे ये 5 सपने, आज भी हैं अधूरे

Birsa Munda 125th Death Anniversary|Birsa Munda Dreams for Tribals: बिरसा मुंडा एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे. उन्होंने झारखंड के मुंडा समुदाय के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजी शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ ‘उलगुलान’ किया था. भगवान बिरसा मुंडा चाहते थे कि आदिवासी समुदाय का स्वशासन हो, आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा हो और सामाजिक-आर्थिक समानता के वह पैरोकार थे. भगवान बिरसा की 125वीं पुण्यतिथि पर पढ़ें बिरसा के उन सपनों के बारे में.

Birsa Munda 125th Death Anniversary|Birsa Munda Dreams for Tribals: झारखंड और आसपास के साथ-साथ देश भर के आदिवासियों में भगवान का दर्जा पाने वाले धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने स्वतंत्रता, सम्मान और समानता के सपने देखे थे. औपनिवेशिक शासन और आधुनिक विकास मॉडल ने उनके इन सपनों को साकार नहीं होने दिया. ‘उलगुलान’ करके आदिवासियों को जगाने वाले बिरसा मुंडा महज 25 साल की उम्र में इस दुनिया से चले गये. उन्होंने आदिवासियों के लिए कई सपने देखे थे.

आदिवासियों को आंदोलन के लिए प्रेरित करते हैं धरती आबा

हालांकि, उनकी विरासत आदिवासी आंदोलनों को आज भी प्रेरित करती है, लेकिन भगवान बिरसा के कई ऐसे सपने थे, जो आज भी अधूरे हैं. आज की पीढ़ी को उसके बारे में जानना चाहिए. उसको पूरा करने की दिशा में पहल करनी चाहिए. भगवान बिरसा मुंडा के सपनों को साकार करने के लिए शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और नीतिगत सुधारों की जरूरत है, ताकि आदिवासी समुदाय अपनी पहचान और अधिकारों को हासिल कर सके.

Birsa Munda ने अंग्रेजों के खिलाफ किया था उलगुलान

15 नवंबर 1875 को रांची के पास खूंटी के उलिहातू गांव में जन्मे बिरसा मुंडा एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे. उन्होंने झारखंड के मुंडा समुदाय के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजी शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ ‘उलगुलान’ किया था. भगवान बिरसा मुंडा चाहते थे कि आदिवासी समुदाय का स्वशासन हो, आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा हो और सामाजिक-आर्थिक समानता के वह पैरोकार थे. 9 जून 1900 को रांची सेंट्रल जेल में उनका निधन हो गया. भगवान बिरसा मुंडा के जो अधूरे सपने रह गये, वे इस प्रकार हैं.

1. आदिवासियों को मिले स्वशासन

धरती आबा ने सपना देखा था कि आदिवासी समुदाय का अपनी जमीन, जंगल और संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण हो. इसके लिए बिरसा ने ‘अबुआ दिशोम, अबुआ राज’ (हमारा देश, हमारा शासन) का नारा दिया. अंग्रेजों के खिलाफ ‘अबुआ दिशोम, अबुआ राज’ का नारा देने वाले धरती आबा का यह सपना आज भी अधूरा है. आदिवासी क्षेत्र के संसाधनों का दोहन हुआ, आदिवासियों का पलायन हुआ, लेकिन उनको अपनी जमीन और अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है. स्वशासन आज तक नहीं मिला.

झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

2. आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा

आदिवासियों को धर्मांतरण से बचाने की भगवान बिरसा ने कोशिश की. उन्होंने आदिवासियों के लिए अलग ‘बिरसाइत’ धर्म की स्थापना की. ‘बिरसाइत’ आदिवासी अध्यात्म पर आधारित है. शुरू में आदिवासियों ने ‘बिरसाइत धर्म’ का पालन किया, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, आदिवासी संस्कृति पर बाहरी प्रभाव बढ़ता गया. कई आदिवासी समुदाय अपनी भाषा, परंपरा और रीति-रिवाजों से अलग होने लगे.

3. आदिवासियों को सामाजिक और आर्थिक समानता

भारत जब अंग्रेजों का गुलाम था, तब भगवान बिरसा ने जमींदारों और साहूकारों के शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उन जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ, जो आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर रहे थे. धरती आबा का सपना था कि आदिवासी समुदाय आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने. उनका यह सपना अब तक परा नहीं हो सका. आदिवासी क्षेत्रों में आज बी गरीबी, शिक्षा की कमी, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव बरकरार है.

4. जंगल और पर्यावरण का संरक्षण

भगवान बिरसा कहते थे कि जंगल आदिवासियों के जीवन का आधार है. इसका संरक्षण जरूरी है. उनके समय में ब्रिटिश शासन ने जंगलों को नष्ट करना शुरू कर दिया था. आज भी अवैध रूप से जंगलों में कटाई हो रही है, जिसकी वजह से आदिवासी क्षेत्रों के जंगल खतरे में हैं.

5. आदिवासियों का राजनीतिक सशक्तिकरण

भगवान बिरसा मुंडा चाहते थे कि आदिवासी समुदाय के लोग राजनीतिक रूप से सशक्त हों. वे अपनी बातों को प्रभावी ढंग से उठा सकें. झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन होने के बाद आदिवासी नेतृत्व तो सामने आये, लेकिन आज भी उनका प्रतिनिधित्व सीमित हैं. मुख्यधारा की राजनीति में आज भी उनकी आवाज दब जाती है.

इसे भी पढ़ें

झारखंड का वो गांव, जहां से अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा को किया गिरफ्तार

LPG Price Today: 3 जून 2025 को आपको कितने में मिलेगा एलपीजी सिलेंडर, सबसे सस्ता सिलेंडर कहां है, जानें

Jharkhand Weather Alert: 24 घंटे में बढ़ेगा तापमान, इन 8 जिलों में गरज के साथ वज्रपात की आशंका

बाबूलाल मरांडी और उनके परिवार को हेमंत सोरेन सरकार से जान का खतरा!

Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel