Birsa Munda Death Anniversary News| Famous Quotes of Birsa Munda: आदिवासी समाज में बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा प्राप्त है. उन्हें धरती आबा कहा जाता है. ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने वाले भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज में व्याप्त अंधविश्वास, नशाखोरी और बलि प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज बुलंद की थी. बिरसा मुंडा शिक्षा, स्वच्छ जीवनशैली और आदिवासियों के रीति-रिवाजों और धर्म की रक्षा के पक्षधर थे. महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक बिरसा मुंडा ने मिशनरियों के प्रभाव को कम करने और आदिवासियों को उनके सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का प्रयास किया. उनके विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं. भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि (Birsa Munda 125th Death Anniversary) पर धरती आबा के क्रांतिकारी विचारों को यहां पढ़ें :-
यह धरती हमारी है, हम इसके रक्षक हैं – बिरसा मुंडा

मातृभूमि और पर्यावरण से बिरसा मुंडा को कितना प्रेम था, यह उनकी इस उक्ति में झलकता है. वह कहते हैं- ‘यह धरती हमारी है, हम इसके रक्षक हैं.’
मैं केवल देह नहीं, मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूं…

‘उलगुलान’ के दौरान भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा के लिए कहा था- ‘मैं केवल देह नहीं, मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूं. पुश्तें और उनके दावे मरते नहीं, मैं भी मर नहीं सकता, मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता!’
वही समाज जिंदा रहता है, जिस समाज में…

बलिदान और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को उजागर करने के लिए भगवान बिरसा मुंडा ने कहा था- ‘वही समाज जिंदा रहता है, जिस समाज में आने वाली पीढ़ी के लिए लोग मरने के लिए तैयार रहते हैं.’
मेरा कहा कभी नहीं मरेगा. उलगुलान! उलगुलान!!

भगवान बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर जब जेल ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने आदिवासियों का आह्वान किया था. यह उनके विचारों की अमरता और विद्रोह की भावना को दर्शाता है. बिरसा ने कहा था- ‘मैं तुम्हें अपने शब्द दे रहा हूं, उसे फेंक मत देना. अपने घर या आंगन में उसे संजोकर रखना. मेरा कहा कभी नहीं मरेगा. उलगुलान! उलगुलान!!’
समाज में सभी को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए

बिरसा मुंडा चाहते थे कि समाज में समानता हो और सबको न्याय मिले. इसलिए उन्होंने सामाजिक समानता और न्याय के लिए आवाज उठायी थी. उन्होंने कहा था- ‘समाज में सभी को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए.’
अबुआ दिसुम अबुआ राज

आत्मनिर्भरता और स्वशासन की उनकी आज भी लोग नहीं भूले. उन्होंने 125 साल पहले, जो बातें कहीं थीं, आज भी प्रासंगिक हैं. बिरसा ने कहा था- ‘अबुआ दिसुम अबुआ राज’ (हमारा देश, हमारा राज).
मेरे बाद भी उलगुलान जारी रखना

बिरसा मुंडा ने गिरफ्तारी से पहले अपने अनुयायियों को आखिरी संदेश दिया था- ‘मेरे बाद भी उलगुलान जारी रखना. यह लड़ाई जमीन और सम्मान की है.’
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