24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड में BJP का हर दांव हुआ फेल, एक ST और 3 SC सीट जीते, केंद्रीय नेतृत्व भी रहा नाकाम

Jharkhand Politics : झारखंड में बीजेपी अपने 2019 के प्रदर्शन से भी पिछड़ गई. 2019 में उसे 25 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार वह 21 में आ गई. बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान एसटी सीटों पर हुआ जहां वह मात्र एक सीट ही जीत पाई.

Jharkhand Politics, सुनील कुमार झा(रांची) : विधानसभा चुनाव 2019 में मिली हार के बाद झारखंड में चुनाव जीतने के लिए भाजपा द्वारा अब तक किया गया हर प्रयोग विफल हो गया है. राज्य में गठन के बाद पहली बार वर्ष 2014 में एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था. तब रघुवर दास राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी. 2014 में 37 सीटें जीतने वाली भाजपा 25 सीटों पर आ गयी. उसके बाद से ही भाजपा राज्य में अपनी खोयी हुई जमीन पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है, लेकिन मौजूदा चुनाव में भाजपा का ग्राफ वर्ष 2019 से भी नीचे चला गया.

मात्र एक एसटी सीट जीत पाई बीजेपी

बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर हुआ था. भाजपा को 2019 में कुल 12 सीटों का नुकसान हुआ था. इनमें से नौ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें थीं. पार्टी को पिछले चुनाव में एसटी आरक्षित दो सीटें मिली थी. इसके बाद दूसरे दलों के कई आदिवासी नेताओं को पार्टी में शामिल कराया गया, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ. इस चुनाव में मात्र एक सीट मिली.

एससी आरक्षित सीट पर भाजपा की सीट कम हुई

वर्ष 2019 में भाजपा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में भाजपा तीन सीटों पर पहुंच गयी. नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी इस चुनाव में लड़ाई से ही बाहर हो गये. वे तीसरे स्थान पर पहुंच गये. कांके जैसी सीट, जिस पर भाजपा पिछले 34 वर्षों से जीत रही थी, वह हार गयी.  छतरपुर में लगातार दो बार चुनाव जीती भाजपा इस बार सीट नहीं बचा पायी.

गीता कोड़ा रहीं बेअसर

2024 के लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक दूसरे दलों के बड़े आदिवासी नेताओं को भाजपा में शामिल कराया गया. कोल्हान में पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल कराया गया. वर्ष 2019 में गीता कोड़ा कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव सांसद चुनी गयी थीं. इस वर्ष गीता कोड़ा भाजपा से चुनाव लड़ीं और हार गयीं. इसके बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें जगन्नाथपुर सीट से प्रत्याशी बनाया. वह विधानसभा चुनाव भी हार गयीं.  

नहीं चला चंपाई सोरेन का जादू, सिर्फ बचा पाए अपनी सीट

विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम चंपाई सोरेन भाजपा शामिल हुए पर वह भी कोल्हान में कोई करिश्मा नहीं कर सके. वह खुद जीते,जबकि उनका बेटा भी हार गया. इसी प्रकार लोबिन हेम्ब्रम, सीता सोरेन भी भाजपा को जीत नहीं दिला सकीं.  इसी प्रकार हुसैनाबाद सीट पर पार्टी ने पिछले चुनाव में जीत दर्ज करने वाले कमलेश सिंह को टिकट दिया था, पर वह भी चुनाव हार गये. इसके अलावा कुछ अन्य सीटों पर भी दूसरे दल से नेताओं को टिकट दिया गया, जो चुनाव हार गये.

एसटी सीट पर 25 में से 19 पर उतारे थे नये चेहरे

राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए कुल 28 सीटें आरक्षित हैं. भाजपा इसमें से इस वर्ष 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. इनमें से 19 सीटों पर पार्टी ने नये प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन इसमें से मात्र एक सीट जीत सकी. वह भी झामुमो से भाजपा में आये चंपाई सोरेन की सीट है. पिछले चुनाव में भाजपा को दो सीटों पर जीत मिली थी.

राष्ट्रीय नेताओं के हाथ में दी गयी थी कमान

लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने राष्ट्रीय स्तर के अनुभवी नेताओं के हाथ में झारखंड की कमान सौंपी थी.  पूरा चुनाव उनकी देखरेख में लड़ा गया, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा. 

Also Read: Jharkhand Politics: विधानसभा चुनाव में हार के बाद हिमंता बिस्वा सरमा की बीजेपी विधायकों को सलाह

Kunal Kishore
Kunal Kishore
कुणाल ने IIMC , नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा की डिग्री ली है. फिलहाल, वह प्रभात खबर में झारखंड डेस्क पर कार्यरत हैं, जहां वे बतौर कॉपी राइटर अपने पत्रकारीय कौशल को धार दे रहे हैं. उनकी रुचि विदेश मामलों, अंतरराष्ट्रीय संबंध, खेल और राष्ट्रीय राजनीति में है. कुणाल को घूमने-फिरने के साथ पढ़ना-लिखना काफी पसंद है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel