रांची. आर्किड मेडिकल सेंटर के सीनियर एक्जीक्यूटिव बरियातू रोड हिल एरिया निवासी कामख्या दुबे द्वारा अस्पताल से 1.10 करोड़ रुपये गबन का मामला सामने आया है. मामले में अस्पताल में एजीएम एडमिन के पद पर कार्यरत हृदय प्रसाद लक्ष्मण द्वारा कामख्या दुबे के खिलाफ लालपुर थाना में केस दर्ज कराया गया है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. शिकायतकर्ता के अनुसार अस्पताल में कामख्या दुबे के पास भारत सरकार के आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने आने वाले आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों के बिल को प्रोसेस करने की जिम्मेवारी थी, लेकिन जांच के क्रम में पता चला कि आरोपी द्वारा लंबे समय से आयुष्मान भारत योजना के तहत कोई भी बिल अस्पताल को पुन: भुगतान नहीं किया गया. यह अवधि जुलाई 2023 से लेकर 2025 के बीच की है. जब इस संबंध में कामख्या दुबे से पूछताछ की गयी, तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को बताया कि आयुष्मान भारत पोर्टल में कुछ तकनीकी समस्या है. जिसके कारण भुगतान के दावों की प्रक्रिया में देरी हो रही है. सभी बिल पहले ही प्रोसेस कर दिये गये हैं. पैसे जल्द ही अस्पताल के एकाउंट में क्रेडिट हो जायेंगे. जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आरोपी द्वारा अपने कारनामे को छिपाने के लिए समय-समय पर नकली रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत किया जाता था. जांच के क्रम में अस्पताल के जेनरल मैनेजर संतोष सिंह ने आयुष्मान भारत के कार्यकारी निदेशक से संपर्क कर 100 से ज्यादा मरीजों के लंबित दावों के भुगतान का अनुरोध किया. तब इनके द्वारा बताया कि अस्पताल द्वारा कामख्या दुबे के माध्यम से 82 मरीजों के दावे को आयुष्मान भारत के पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है. इस पर जब कामख्या दुबे के ऑफिस की जांच की गयी, तब दराज से कई रसीद मिले. इन रसीद में मरीज का नाम और उनसे प्राप्त रकम का उल्लेख था. शिकायतकर्ता के अनुसार जांच के क्रम में इन बिल के फर्जी होने की बात सामने आयी है. जब अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने वाले कुछ मरीजों से संपर्क किया गया. तब उनमें से टाटीसिलवे थाना क्षेत्र निवासी गोरख शर्मा ने बताया कि उन्होंने इलाज के लिए पांच हजार दिये थे. जबकि गिरिडीह के जमुआ थाना क्षेत्र निवासी गीता देवी के इलाज के लिए इनके पति से 18 हजार रुपये लिये गये थे. जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि आरोपी ने 100 से अधिक मरीजों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर उनसे रुपये की वसूली की. गबन का मामला सामने आने के बाद आरोपी ने अस्पताल आना छोड़ दिया और फोन भी नहीं उठा रहे हैं.
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