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Climate Change Risk: जलवायु परिवर्तन के जोखिमों के मामले में झारखंड के ये 10 जिले रेड जोन में, रामगढ़ सबसे कम संवेदनशील

Climate Change Risk: भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक अध्ययन कराया है. इसमें जलवायु परिवर्तन के जोखिमों के मामले में झारखंड के 10 जिले रेड जोन में हैं. यहां की स्थिति काफी खराब है. रामगढ़ सबसे कम संवेदनशील जिला है.

Climate Change Risk: रांची, मनोज सिंह/विवेक चंद्र-झारखंड के 10 जिले जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को झेलने के मामले में रेड जोन में हैं. यहां की स्थिति बहुत खराब है. जलवायु परिवर्तन के असर से निबटने के लिए उपलब्ध जरूरी सुविधा के मामले में ये जिले फिसड्डी हैं. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी राज्यों में जलवायु परिवर्तन से होने वाले असर और उससे निपटने के लिए जरूरी संसाधन पर अध्ययन कराया है. जोखिमों से लड़ने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी के मामले में झारखंड देश में सबसे खराब स्थिति में है. इस मामले में झारखंड के बाद दूसरा नंबर मिजोरम, तीसरा ओडिशा तथा चौथे नंबर छत्तीसगढ़ का है. पांचवें स्थान पर असम है. कुल आठ उच्च संवेदनशील राज्यों में बिहार, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम भी हैं.

जोखिम वाले देश के टॉप 50 में दो जिले झारखंड के


जलवायु परिवर्तन की जोखिमों को झेलने के मामले में टॉप 50 जिलों में राज्य के दो जिले शामिल है. इसमें साहिबगंज और गिरिडीह है. साहिबगंज 16वें तथा गिरिडीह 49वें स्थान पर है. साहिबगंज जिले को वर्षा आधारित खेती, कम उद्यान क्षेत्र, कम वन क्षेत्र के कारण 16वें स्थान पर रखा गया है. वहीं, गिरिडीह को कम भूमि वाले किसान, उद्यान का कम क्षेत्र, कम वन क्षेत्र, सड़क घनत्व कम होने के कारण 49वें स्थान पर रखा गया है. इसके अतिरिक्त पलामू प्रमंडल के दो जिलों गढ़वा और पलामू को भी जलवायु परिवर्तन की जोखिमों से लड़ने के मामले में अति संवेदनशील राज्यों की श्रेणी में रखा गया है.

रामगढ़ सबसे कम संवेदनशील जिला


रामगढ़ को जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को झेलने के मामले में सबसे कम संवेदनशील जिलों की श्रेणी में रखा गया है. यहां जलवायु परिवर्तन से लड़ने वाले कारकों के कई तथ्य मौजूद हैं. यहां बीपीएल की संख्या अन्य जिलों से कम है. कोयला कंपनियों के ज्यादा कर्मी होने के कारण आवासीय परिसर के साथ-साथ चिकित्सा की सुविधा भी ठीक-ठाक है.

अति संवेदनशील जिले


साहिबगंज, पाकुड़, चतरा, गढ़वा, पलामू, गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो, खूंटी और गोड्डा

संवेदनशील जिले


लातेहार, देवघर, सरायकेला-खरसांवा, सिमडेगा, धनबाद, जामताड़ा, पूर्वी सिंहभूम, रांची, कोडरमा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका

क्या-क्या देखा गया अध्ययन में

  • जिले में बीपीएल की आबादी
  • वर्षा आधारित खेती की स्थिति
  • जलवायु परिवर्तन से होने वाली बीमारियों की स्थिति
  • स्वास्थ्य संसाधनों की स्थिति
  • वन भूमि की स्थिति
  • वर्षा जल की स्थिति
  • स्वास्थ्य कर्मियों की स्थिति
  • रोड घनत्व की स्थिति
  • प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली आय
  • फसलों की बीमा की स्थिति
  • महिलाओं की कामकाज में भागीदारी

रिपोर्ट के बाद अध्ययन का दायरा बढ़ाया जा रहा है-रवि रंजन


कैम्पा के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रवि रंजन ने बताया कि भारत सरकार की रिपोर्ट के बाद अध्ययन का दायरा बढ़ाया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर डाटा तैयार हो. इसके बाद जलवायु परिवर्तन से लड़ सकेंगे. वन विभाग इसके साथ-साथ अगले 40 साल का क्लाइमेट प्रोजेक्शन भी करा रहा है. इससे पता चल पायेगा कि झारखंड में अगले 40 साल में जलवायु की क्या स्थिति होगी. इससे जलवायु परिवर्तन के फैक्टर और उसके बचाव के उपाय पर काम कर सकते हैं.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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