रांची.
कोल कंपनियां विधानसभा की विशेष जांच समिति से जानकारी छुपा रही है. विधानसभा समिति ने बीसीसीएल, इसीएल, सेल और टाटा से कोयला उत्खनन क्षेत्र और भूमि अधिग्रहण सहित कंपनियों द्वारा दिये गये मुआवजा और नौकरियों से संबंधित जानकारी मांगी थी. कंपनियों ने समिति को आधी-अधूरी जानकारी दी है. मथुरा महतो इस विशेष कमेटी के संयोजक हैं. गुरुवार को इस समिति की बैठक हुई. बैठक में कोल कंपनियों द्वारा दी गयी रिपोर्ट पर नाराजगी जतायी गयी. समिति ने कोयला क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए स्थल निरीक्षण करने का फैसला लिया. कमेटी अगस्त महीने के पहले सप्ताह में इन क्षेत्रों में जाकर रैयतों और कोल कंपनियों के अधिकारियों से बात करेगी. बैठक में समिति के सदस्य व विधायक राज सिन्हा, धनंजय सोरेन, सुदीप गुड़िया, विधानसभा के संयुक्त सचिव रंजीत कुमार, विरेंद्र कुमार और निलेश शामिल हुए.बजट सत्र में उठाया गया था मामला
पिछले बजट सत्र में माले विधायक चंद्रदेव महतो और अरुप चटर्जी ने बलियापुर अंचल में बीसीसीएल क्षेत्र-10 और एटीपी देवप्रभा कंपनी द्वारा जबरन रैयती जमीन पर ओबी डंप किये जाने का मामला उठाया था. विधायकों के इस प्रश्न पर सदन में सही जवाब नहीं आने के कारण स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने विधानसभा की विशेष कमेटी को जांच का जिम्मा सौंपा था.
अधिकारी को बिना हस्ताक्षर के ही भेज दी रिपोर्ट
कंपनियों ने कोल क्षेत्रों में वन व पर्यावरण विभाग से मिले एनओसी से संबंधित जानकारी दी है. इसीएल को कुछ संशोधन के साथ निरसा क्षेत्र में पर्यावरण अनुमति मिली है. समिति को भेजी गयी रिपोर्ट में किसी अधिकारी का हस्ताक्षर नहीं है. इसे समिति ने गंभीरता से लिया है. इसके साथ ही जमीन की प्रकृति की भी जानकारी कंपनी द्वारा नहीं दी गयी है. कंपनियों ने आउटसोर्सिंग कंपनी का नाम जरूर बताया है. लेकिन, कितनी जमीन में उत्खनन हो रहा है और किस क्षेत्र में ओबी डंपिंग का काम हो रहा है, इसकी जानकारी नहीं दी गयी है. इसीएल को पूरी जानकारी देने के लिए समिति ने 10 दिनों का समय दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है