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Ranchi news : साइबर अपराध से निपटने के लिए तैयार किये जा रहे कमांडो

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी. कहा : झारखंड में साइबर अपराध एक गंभीर चुनौती है.

सुनील चौधरी, रांची.

झारखंड में साइबर अपराध एक गंभीर चुनौती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भेजी है. इसमें कहा गया है कि मंत्रालय का इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) देश भर में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में जुटा है. लेकिन, झारखंड की स्थिति अब भी चिंता का विषय है. रिपोर्ट में राज्य की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और आगामी प्रयासों का विस्तृत विवरण है. I4C के तहत देश भर में साइबर कमांडो तैयार किये जा रहे हैं. इन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर डिजिटल अपराधों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है. अगले पांच वर्षों में 5000 से अधिक साइबर कमांडो को प्रशिक्षित कर तैयार किया जाना है. वर्तमान में 372 कर्मिकों का पहला बैच भारत के कुछ अग्रणी तकनीकी संस्थानों जैसे आइआइटी, ट्रिपल आइटी और राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालयों में छह महीने का गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है. हालांकि, इस पहले बैच में झारखंड से केवल दो उम्मीदवार शामिल हुए.

शिकायतें अधिक, एफआइआर कम

एक जनवरी 2024 से 31 मई 2025 तक झारखंड में कुल 24475 साइबर से संबंधित शिकायतें दर्ज की गयी हैं. लेकिन, इनमें से केवल 30 मामलों (0.12 प्रतिशत) को एफआइआर में परिवर्तित किया गया. यह दर देश में सबसे कम में से एक मानी जा रही है. गृह मंत्रालय ने इस दर को बढ़ाने की सख्त जरूरत बतायी है.

हॉट स्पॉट जिलों में प्रभावी कार्रवाई की दर कम

रिपोर्ट में झारखंड के प्रमुख साइबर अपराध हॉट स्पॉट जिलों के नाम चिह्नित किये गये हैं. इनमें धनबाद, रांची, जमशेदपुर, देवघर, जामताड़ा, दुमका और गिरिडीह शामिल हैं. इन जिलों में साइबर धोखाधड़ी, फर्जी कॉल सेंटर, आधार कार्ड के नाम पर ठगी और फर्जी लिंक भेजकर पैसा वसूलने जैसे अपराधों की संख्या अधिक है, परंतु ठोस और समयबद्ध कार्रवाई की कमी बतायी गयी है.

1930 हेल्पलाइन सेवा में सुधार की जरूरत

झारखंड में 1930 साइबर हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों के अनुसार, कुल 873043 कॉल किये गये, जिनमें 872279 कॉल का उत्तर दिया गया. औसत प्रतिक्रिया दर 100% रही. लेकिन, प्रति व्यक्ति मासिक प्राप्त कॉल की संख्या 2701 और प्रतिदिन 89 कॉल रही. इस सेवा में शिकायत निवारण की दर कम है और अभी तक राज्य की ग्राउंड रिस्पॉन्स टीम की भागीदारी केवल 19.23% रही है, जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. इसमें पर्याप्त संसाधन और कर्मियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया गया है.

साप्ताहिक सहकर्मी प्रशिक्षण में कम भागीदारी

आइ4सी द्वारा प्रत्येक शुक्रवार को शाम चार बजे आयोजित सहकर्मी प्रशिक्षण सत्रों में झारखंड की भागीदारी काफी कम रही है. अब तक 111 सत्रों में से राज्य ने केवल छह सत्रों में भाग लिया है. यह साइबर पुलिस कर्मियों की दक्षता को प्रभावित कर सकता है.

झारखंड का एक भी थाना कनेक्ट कार्यक्रम से नहीं जुड़ा

देशभर में साइबर अपराधों से निपटने के लिए आइ4सी द्वारा चार फरवरी 2025 को थाना कनेक्ट कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी. ताकि, पुलिस थानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ कर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित किया जा सके. लेकिन, झारखंड का कोई भी थाना अब तक इस कार्यक्रम से नहीं जुड़ पाया है.

राज्य का सीएफएमसी और आइ4सी में प्रतिनिधित्व नहीं

साइबर धोखाधड़ी मॉनिटरिंग सेंटर (सीएफएमसी) और इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) में झारखंड का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. केंद्र सरकार ने राज्यों से 20 सितंबर 2024 तक अपने प्रतिनिधि नामित करने को कहा था, लेकिन झारखंड ने अब तक इस पर कार्रवाई नहीं की है. वहीं, झारखंड ने 2024 में 179 मामलों की सूचना समन्वय-जेएमआइएस पर दी, जिनमें 756 गिरफ्तारी दर्ज की गयी. हालांकि, इन मामलों की गहन प्रोफाइलिंग और डेटाबेस लिंकिंग की प्रक्रिया अभी अधूरी है.

राज्य को उठाने होंगे ठोस कदम

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि झारखंड राज्य को साइबर अपराध की चुनौतियों से निपटने के लिए समर्पित रणनीति, संस्थागत भागीदारी, प्रशिक्षण, प्रतिनिधित्व और तकनीकी ढांचे पर तुरंत काम करने की आवश्यकता है. केंद्र सरकार ने झारखंड से अपील की है कि वह थानों को ”थाना कनेक्ट कार्यक्रम” से जोड़े. ताकि, साइबर अपराधों की रोकथाम और पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सके.

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