Congress Protest: झारखंड में कांग्रेस पार्टी आज राजभवन का घेराव करेगी. इस दौरान पार्टी के सदस्य सरना धर्म कोड को लेकर प्रदर्शन करेंगे. उनकी मांग सरना धर्म को मान्यता दिलाना है. इसकी जानकारी कांग्रेस नेता और राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने दी. इस संबंध में उन्होंने सोमवार 26 मई को अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक बीस सेकेंड का वीडियो साझा किया है.
यह प्रदर्शन अस्मिता की लड़ाई है
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि “26 मई 2025 को झारखंड प्रदेश कांग्रेस पार्टी आदिवासी समाज की वर्षों पुरानी मांगों को लेकर राजभवन का घेराव करेगी. यह आंदोलन सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं है. यह हमारी अस्मिता, आस्था और पहचान की लड़ाई है.” उन्होंने सरना धर्म कोड और सातवां कॉलम को आदिवासी समाज की सबसे बड़ी मांग बताते हुआ कहा कि इसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
26 मई 2025 को झारखंड प्रदेश कांग्रेस पार्टी आदिवासी समाज की वर्षों पुरानी मांगों को लेकर राजभवन का घेराव करेगी।
— Dipika Pandey Singh (@DipikaPS) May 25, 2025
यह आंदोलन सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं है — यह हमारी अस्मिता, आस्था और पहचान की लड़ाई है।
आदिवासी समाज की सबसे बड़ी माँग —
सरना धर्म कोड और सातवां कॉलम — को अब और नजरअंदाज… pic.twitter.com/BdPwMF3kOh
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आदिवासी अपनी संस्कृति को लेकर चिंतित
बता दें कि शनिवार को दुमका के कांग्रेस कार्यालय में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में झारखंड आदिवासी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जोसांय मांझी ने भी राजभवन घेराव की बात कही थी. उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति के पुजारी हैं. वह अपनी संस्कृति को लेकर काफी चिंतित रहते हैं. आदिवासी समाज के लोगों की बहुत ही लंबे समय से यह मांग रही है कि सरना कोड को लागू किया जाए, जिसे अबतक नहीं लागू किया जा सका है. इस मांग की इतने लंबे समय से हो रही उपेक्षा बहुत ही दुखद है. मांझी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सरना कोड लागू करवाने का दायित्व हमेशा से उठाती रही है और इसे लागू करवाकर ही रहेगी.
राज्य सरकार सरना कोड की पक्षधर
वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता श्यामल किशोर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार शुरुआत से ही सरना कोड की पक्षधर रही है. साथ ही समय-समय पर इसे कानूनी तौर पर लागू करवाने का प्रयास भी करती रही है. कांग्रेस पार्टी शुरुआत से ही इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करती रही है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार और राजभवन की शिथिलता के कारण अभी तक यह लागू नहीं हो पाया है. सरना धर्मकोड को अविलंब लागू करना चाहिए.
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