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31 मार्च तक सरना धर्म कोड को मान्यता देने की मांग, राष्ट्रपति को लिखा पत्र, इस दिन भारत बंद की चेतावनी

सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड की मांग की है. 31 मार्च तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं दी गई, तो भारत बंद और रेल-रोड चक्का जाम करने की चेतावनी भी दी गई. कहा गया है कि यह भारत बंद अनिश्चितकालीन भी हो सकता है.

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड की मांग की है. पत्र में आदिवासियों को सरना धर्म कोड की मान्यता देने की मांग करते हुए 31 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया गया है. 31 मार्च तक सरना धर्म कोड की मान्यता की घोषणा नहीं हुई, तो 7 अप्रैल 2024 को भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम की चेतावनी भी दी गई है. पत्र में लिखा गया है कि, “सरना धर्म कोड” भारत के प्रकृति पूजक लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी की जीवन रेखा है. मगर आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोषी हैं. 1951 की जनगणना तक यह प्रावधान था. जिसे बाद में कांग्रेस ने हटा दिया और अब भाजपा जबरन आदिवासियों को हिंदू बनाना चाहती है.

बीजेपी पर जबरन हिंदू बनाने का आरोप

उन्होंने आगे लिखा कि 2011 की जनगणना में 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिखाया था, जबकि जैन की संख्या 44 लाख थी. ऐसे में आदिवासियों को मौलिक अधिकार से वंचित करना संवैधानिक अपराध जैसा है. सरना धर्म कोड के बिना आदिवासियों को जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनाना धार्मिक गुलामी को मजबूर करना और धार्मिक नरसंहार जैसा है. सरना धर्म कोड की मान्यता मानवता और प्रकृति-पर्यावरण की सुरक्षार्थ भी अनिवार्य है. पत्र में यह भी लिखा गया कि सरना धर्म की मान्यता के लिए 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री का उलिहातू दौरा और 20 नवंबर 2023 को महामहिम राष्ट्रपति का बारीपदा दौरा भी बेकार साबित हुआ है. भारत के हम आदिवासियों के लिए यह कैसी विडंबना है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक महामहिम राष्ट्रपति के पद पर भी एक आदिवासी हैं. भारत के संविधान में धार्मिक आजादी की व्यवस्था मौलिक अधिकार है. हमारी संख्या मान्यता प्राप्त जैनों से ज्यादा है, तब भी हमें धार्मिक आजादी से वंचित करना अन्याय, अत्याचार और शोषण नहीं तो क्या है? आखिर हम जाएं तो कहां जाएं? इसलिए हम फिर 7 अप्रैल 2024 को भारत बंद और रेल-रोड चक्का जाम को मजबूर हैं. अगर 31 मार्च 2024 तक सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए सभी संबंधित पक्ष कोई सकारात्मक घोषणा नहीं करते हैं, तो यह भारत बंद अनिश्चितकालीन भी हो सकता है.

मांग पूरी नहीं होने पर 7 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान

इसी के साथ उन्होंने कहा कि भारत के आदिवासियों को धार्मिक आजादी मिले इसके लिए आदिवासी सेंगेल अभियान सभी राजनीतिक दलों और सभी धर्म यथा हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि के प्रमुखों से आग्रह करती है कि वे भी मानवता और प्रकृति- पर्यावरण की रक्षार्थ हमें सहयोग करें. महामहिम राष्ट्रपति, आपको संविधान सम्मत सरना धर्म कोड देना ही होगा. 7 अप्रैल, 2024 से आहूत भारत बंद में सरना धर्म लिखाने वाले 50 लाख आदिवासी और अन्य सभी सरना धर्म संगठनों और समर्थकों को सेंगेल ने अपने-अपने गांव के पास एकजुट प्रदर्शन करने का आग्रह और आह्वान किया है. बता दें कि सरना धर्म कोड की मांग के लिए आदिवासी संगठन ने 30 दिसंबर 2023 को भी सांकेतिक भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम किया था. 30 दिसम्बर 2023 के भारत बंद और रेल- रोड चक्का जाम का जोरदार असर अनेक प्रदेशों में हुआ.

Also Read: भारत बंद का असर: झारखंड में सड़क जाम, दुकानें बंद, कहीं सड़कों पर तो, कहीं रेलवे ट्रैक पर बैठे आदिवासी

Jaya Bharti
Jaya Bharti
This is Jaya Bharti, with more than two years of experience in journalistic field. Currently working as a content writer for Prabhat Khabar Digital in Ranchi but belongs to Dhanbad. She has basic knowledge of video editing and thumbnail designing. She also does voice over and anchoring. In short Jaya can do work as a multimedia producer.

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