बिपिन सिंह, रांची.
स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने स्वास्थ्य सेवा को राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से झारखंड में 15 नवंबर 2017 को डायल 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा शुरू की थी. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के कार्यकाल में इस सेवा की शुरुआत हुई थी. सेवा संचालन को लेकर कंपनी के साथ किये गये एमओयू में सरकार ने कहा था कि सरकार और कंपनी के बीच परस्पर समन्वय स्थापित होने के साथ यदि कंपनी का काम स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर रहता है, तो आगे सेवा विस्तार दिया जा सकता है. झारखंड में मातृ और शिशु मृत्यु दर के अंदर बीते कुछ सालों में काफी सुधार हुआ है. लेकिन, इसके बावजूद 108 से जुड़ी कंपनी का अनुबंध विस्तार नहीं दिया गया. जब भी राज्य में सरकार बदली, स्वास्थ्य मंत्री के बदलते ही डायल 108 एंबुलेंस सेवा का जिम्मा किसी नयी कंपनी को दे दिया गया. हर बार कर्मचारियों के साथ नया समझौता हुआ. कई बार हड़ताल और विरोध का सामना करना पड़ा. सेवाएं बाधित हुईं और इस सब का खमियाजा राज्य की आम जनता और मरीजों को ही भुगतना पड़ा है.संचालन पर हर माह तीन करोड़ खर्च
राज्य में पहले 108 डायल इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के संचालन पर हर माह करीब 3.80 करोड़ रुपये खर्च होते थे. पूर्व की कंपनी को पहले प्रति एंबुलेंस हर माह करीब 1.15 लाख रुपये का भुगतान हो रहा था. इस बार कंपनी को एक लाख रुपये से कम खर्च पर सेवा उपलब्ध कराने का टेंडर दिया गया है. यानी वर्तमान में एंबुलेंस के संचालन पर हर माह करीब तीन करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.
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