यहां की शांति और वातावरण में ”ॐ नमः शिवाय” की ध्वनि आत्मा से महसूस की जा सकती है
लोहरदगा (गोपी कुंवर). जिले में सावन के पवित्र महीने को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. विभिन्न शिवालयों को आकर्षक तरीके से सजाया और संवारा गया है. लोहरदगा जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर स्थित है 11वीं सदी में लिंगायत संप्रदाय द्वारा निर्मित शिव मंदिर. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गयी प्रार्थना जरूर पूरी होती है. यहां हर वर्ष सावन में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. पुरातात्विक प्रमाणों के अनुसार यह प्राचीन शिव मंदिर अपनी रमणीय प्राकृतिक छटा और शिलाओं पर बनी कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है. यहां की शांति और वातावरण में ”ॐ नमः शिवाय” की ध्वनि आत्मा से महसूस की जा सकती है. पुरातत्व विभाग ने मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया है और अब भी यहां सर्वेक्षण जारी है. पहाड़ की चोटी पर बना यह मंदिर अपने आप में बेहद सुंदर और मनोहारी है. श्रद्धालु पूजा के बाद आसपास की प्रकृति का भरपूर आनंद लेते हैं. लोग बताते हैं कि कभी यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ था. लेकिन बाद में पुरातत्व विभाग के प्रयासों से इसे संरक्षित और विकसित किया गया. अब लोहरदगा ही नहीं, आसपास के जिलों से भी लोग यहां पहुंचते हैं. खखपरता शिव मंदिर में शादी-विवाह जैसे धार्मिक आयोजन भी होते हैं. यहां तक आने के लिए सुगम मार्ग मौजूद है और सावन में श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किये जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है