रांची. वन विकास निगम ने इस वर्ष केंदू पत्ता (बीड़ी पत्ता) बेचकर करीब 31 करोड़ रुपये की कमाई की है. अप्रैल और मई माह में केंदू पत्ते का संग्रहण होता है. मई माह में बारिश के कारण इस वर्ष केंदू पत्ते का संग्रहण भी प्रभावित हुआ है. अब तक दो लाख 23 हजार से अधिक स्टैंडर्ड बैग केंदू पत्ते का संग्रहण हो चुका है. राज्य के कुल 22 रेंज में केंदू पत्ते का संग्रहण होता है. निगम ने कुल 488800 मानक बोरा केंदू पत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा था. इसकी तुलना में करीब 224087 मानक बोरा पत्ता ही संग्रह हो पाया है. पिछले साल करीब 28 करोड़ रुपये निगम की कमाई हुई थी. उससे पहले करीब 22 करोड़ रुपये निगम की कमाई हुई थी. इस वर्ष मजदूरी के रूप में करीब 42 करोड़ रुपये बांटा गया है. केंदू पत्ता तोड़ने वाले 10 हजार मजदूरों के बीच छाता का वितरण भी किया गया. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री ने पर्यावरण दिवस के दिन पांच जून को की थी.
सिमडेगा रेंज का सबसे अच्छा प्रदर्शन
राज्य में केंदू पत्ता का करीब 299 लॉट है. इसमें इस वर्ष 187 लॉट केंदू पत्ते की बिक्री हुई. बीते साल 172 लॉट ही बिक पाया था. इस वर्ष सिमडेगा रेंज ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है. सिमडेगा ईस्ट रेंज का 12900 तथा सिमडेगा वेस्ट रेंज का लक्ष्य 16300 मानक बोरा केंदू पत्ता संग्रहण का था. इसकी तुलना में ईस्ट रेंज ने लक्ष्य का करीब 79 तथा वेस्ट रेंज ने 97 फीसदी संग्रहण कर लिया है. इसके लिए रेंजर प्रिंस को अधिकारियों ने पांच हजार रुपये देकर सम्मानित भी किया. रांची डिविजन में सबसे खराब प्रदर्शन लोहरदगा रेंज का है. यहां लक्ष्य का मात्र 21 फीसदी ही संग्रहण हुआ है. धालभूम डिविजन में चक्रधरपुर लक्ष्य का 39 फीसदी ही कलेक्शन हो पाया है. गढ़वा डिविजन में गढ़वा-1 का संग्रहण सबसे खराब है. हजारीबाग डिविजन में चतरा और सिमरिया रेंज का संग्रहण लक्ष्य का करीब 13 और 18 फीसदी ही है. वहीं गिरिडीह डिविजन में सबसे खराब स्थिति पाकुड़ और देवघर रेंज में लक्ष्य का 19 और 18 तथा दुमका रेंज का 16 फीसदी के आसपास ही संग्रहण हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है