रांची. भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका भाजपा के एजेंट की तरह प्रतीत हो रही है. बिहार में 52 लाख से अधिक गरीब मतदाताओं का नाम निर्वाचक नामावली से हटा देने की कार्रवाई लोकतंत्र विरोधी और मतदाताओं के संवैधानिक अधिकारों को रौंदने के समान है. यह एक अन्य राज्य में सत्ता हथियाने की साजिश है. उक्त बातें माकपा की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने कही. वह शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में बोल रही थीं.
समूचा लोकतांत्रिक विपक्ष चुनाव आयोग की इस असंवैधानिक करतूतों का संसद से सड़क तक विरोध करेगा
इस मौके पर वृंदा करात ने कहा कि यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार लोकतंत्र के लिए घातक है. समूचा लोकतांत्रिक विपक्ष चुनाव आयोग की इस असंवैधानिक करतूतों का संसद से सड़क तक विरोध करेगा, जैसा कि संसद के वर्तमान सत्र के दौरान किया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सत्र चल रहा है और दूसरी ओर देश के प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर हैं. क्योंकि, विपक्ष और पूरे देश के लोग कथित ”ऑपरेशन सिंदूर” पर सरकार और प्रधानमंत्री से जवाब चाहते हैं. प्रेस वार्ता में राज्य सचिव प्रकाश विप्लव व पार्टी के रांची जिला सचिव प्रफुल्ल लिंडा समेत अन्य लोग मौजूद थे.
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