रांची. स्वर्णभूमि बैंक्वेट हॉल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मोहित भाई राज्यगुरु ने कपिल महाराज के जन्म और भगवान महादेव के पूर्व रूप का वर्णन किया. मां सती के साथ उनका वर्णन आया. मां सती ने जब अपने पूरे शरीर को अग्नि में भस्म कर दिया, तो उनका पुनर्जन्म पर्वत राज हिमालय के घर पार्वती स्वरूपा में हुआ और एक बार फिर भोले बाबा के साथ उनका विवाह संस्कार हुआ. आठवें स्कंद में नाम की महिमा के बारे में बताते हुए गुरुजी ने कहा कि नाम की महिमा बहुत अच्छी है. आप केवल नाम लेने से ही ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं. भगवान की आराधना के लिए गुरुजी ने कहा कि ध्रुव की तरह जो व्यक्ति एक बार प्रभु का नाम लेता है, उसका पूर्ण रूप से उद्धार होता है. कथा के बाद दिन के 11 बजे से एक बजे तक सुंदरकांड का आयोजन हुआ. मौके पर हरीश दोशी, पंकज ठक्कर, आनंद मानेक, नीलेश चौहान, राजेश चौहान, कुणाल टांक, हेमंत पटेल, मुकेश चौटालिया, अनुराग पटेल, विजय पटेल, शरद पटेल, मंगला बहन, यसु बहन, भारती बहन, चंचला बहन सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है